रोज दो आंवला खाइए,बढ़ती उम्र पर ब्रेक

रोज दो आंवला खाइए,बढ़ती उम्र पर ब्रेक

नई दिल्‍ली। आयुर्वेद में आंवले को जो सम्मान हासिल है वह किसी दूसरे फल, जड़ी अथवा बूटी को नहीं मिलता। यह Vitamin C का सर्वोत्तम स्रोत है। इसके अलावा इसमें गैलिक एसिड, टैनिक एसिड, शर्करा तथा कैल्शियम भी पाया जाता है। आंवले के रस में संतरे के रस की तुलना में 20 गुना अधिक विटामिन सी पाया जाता है। सुबह प्रतिदिन खाली पेट दो आंवला खाने या फिर रात में सोने से ठीक पहले एक चम्‍मच आंवले का चूर्ण एक घूंट पानी के साथ लेने का प्रभाव आप एक महीने में खुद महससू करेंगे।

गुण : आंवले को आयुर्वेद में 'रसायन' वर्ग में रखा गया है। अर्थात यह शरीर का पोषण करने के गुण रख़ता है। आधुनिक संदर्भ में इसे बेहतरीन एंटी ऑक्सीडेंट माना गया है। अत: इसके सेवन से व्यक्ति सदा स्वस्थ रहता है। आंवला फल के सीधे सेवन के अलावा चूर्ण एवं स्वरस के रूप में इसका सेवन किया जा सकता है।

बढ़ती उम्र पर लगाता है ब्रेक
बढ़ती उम्र के प्रभावों को धीमा करने का अद्भुत गुण इसे 'रसायन' बनाता है। इसके निरंतर प्रयोग से बाल टूटना, रू सी, सफेद होना रूक जाते हैं। नेत्र ज्योति सुरक्षित रहती है। दांत मजबूत बने रहते हैं तथा नेत्र, हाथ पांव के तलुओं, मूत्रमार्ग, आमाशय, आंतों तथा मलमार्ग की जलन समाप्त हो जाती है। इसके प्रयोग से इम्युनिटी पावर सुरक्षित रहती है। बार-बार होने वाली बीमारियों से बचाव होता है।

आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार आंवला कब्जकारक, मूत्रल, रक्त शोधक, पाचक, रूचिवर्धक तथा अतिसार, प्रमेह, दाह, पीलिया, अम्ल पित्त, रक्त विकार, रक्त स्त्राव, बवासीर, कब्ज, अजीर्ण, बदहजमी, श्वास, खांसी, वीर्य क्षीणता, रक्त प्रदर नाशक तथा आयुवर्धक है।

आंवले का घरेलू प्रयोग
* अतिसार: कच्चा आंवला पीस कर रोगी की नाभि के चारों ओर कटोरी जैसी बनाकर इस नाभि में अदरक का रस भर दें
* हिचकी: आंवला, कैथ का गूदा, छोटी पीपर का चूर्ण, शहद से चटाएं तो हिचकियां मिट जाएंगी
* अजीर्ण: ताजा आंवला, अदरक, हरा धनिया मिलाकर चटनी बनावें इसमें सेंधा नमक, काला नमक, हींग, जीरा, काली मिर्च मिला चटावें। डकारें आएंगी, भूख खुलेगी, हाजमा बढ़ेगा
* स्त्रियों का बहुमूत्र: आंवले का रस, पका हुआ केले का गूदा, शहद व मिश्री चारों मिलाकर चटाएं
* मूत्र कष्ट: आंवले का 25 ग्राम ताजा रस, छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण कर पिलाएं। मूत्र आने लगेगा
* बवासीर: आंवले पीस कर पीठी को मिट्टी के बर्तन में लेप कर दें। इसमें गाय की ताजा छाछ भर रोगी को पिलाएं
* मुंह के छाले और घाव: आंवले के पत्तों के काढे से दिन में 2 से 3 बार कुल्ले कराएं
* श्वेत प्रदर: आंवले की गुठली फोड़ कर निकाले बीजों का चूर्ण पानी से पीस कर शहद व मिश्री मिला पिलाएं
* नेत्रों के रोग: आंवला छिलका दरदरा कूट कर पानी में भिगोकर रखें। इसे कपड़े से साफ छान कर दिन में तीन बार 2-2 बूंद आंखों में टपकाएं

विभिन्न रोगों की चिकित्सा में उपयोग
बाह्य प्रयोग में इसका रस दाहशामक होता है। बालों से संबंधित व्याधियों में जैसे बालों का झड़ना, असमय सफेद होना, डेंड्रेफ आदि में इसके चूर्ण का अन्य जड़ी-बूटियों के साथ लेप बहुत उपयोगी है, साथ ही चूर्ण का सेवन भी इन रोगों में बहुत फायदेमंद है। भूख बढ़ाने के साथ आंवला पाचन शक्ति भी बढ़ाता है। हृदय के लिए अच्छा है। प्रजनन शक्ति बढ़ाने वाला है तथा त्वचा के रोगों का भी नाश करता है। ज्वर (बुखार) का नाश करता है। मस्तिष्क दौर्बल्य को भी नष्ट करता है।

मात्रा : स्वरस- 10-20 मिली सुबह-शाम एवं चूर्ण : 3-6 ग्राम सुबह शाम।

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