इस्कीमिक स्ट्रोक: लापरवाही बन सकती है जानलेवा

हाई ब्लडप्रेशर, मधुमेह (डाइबिटीज) के साथ अनियमित दिनचर्या और तनाव के कारण जीवन-शैली से संबंधित रोगों में तेजी से वृद्धि हो रही है। ऐसे रोगों के बीच स्ट्रोक या ब्रेन अटैक शायद सबसे घातक है, लेकिन दुख की बात है कि लगातार इसके भयानक परिणाम बढ़ते जा रहे हैं।

इस्कीमिक स्ट्रोक की स्थिति

इस स्ट्रोक का अटैक रक्त प्रवाह ब्लड सर्कुलेशन में अवरोध उत्पन्न होने के कारण होता है। स्ट्रोक के कारण कुछ मस्तिष्क कोशिकाएं तुरंत ही मृत हो जाती हैं। स्ट्रोक के बाद मस्तिष्क का कुछ भाग ऐसा होता है, जो कार्य नहीं कर रहा होता है, लेकिन यह पूरी तरह से मृत भी नहीं होता है। इस स्थिति में यदि शीघ्र ही मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति की जाए, तो मस्तिष्क के इस भाग को बचाकर मरीज की स्ट्रोक से रिकवरी संभव है।

लक्षण: ब्रेन अटैक के लक्षणों को अंग्रेजी शब्द- फास्ट से सरल रूप से समझा जा सकता है।

एफ: फेस ड्रूपिंग यानी चेहरे का एक तरफ से लटक जाना या सुन्न हो जाना।

ए: आर्म वीकनेस यानी हाथों में अचानक सुन्नपन। यदि व्यक्ति से दोनों हाथों को उठाने के लिए कहा जाएगा, तो उसका एक हाथ नीचे की तरफ झुका रहेगा।

एस: स्पीच डिफिकल्टी यानी बोलने या समझने में अचानक दिक्कत।

टी: टाइम यानी बिना देरी किए शीघ्र ऐसे अस्पताल पहुंचें, जहां पर स्ट्रोक का इलाज संभव हो।

फास्ट के अतिरिक्त वे लक्षण जिन्हें जानना जरूरी है- अचानक दोनों आंखों से स्पष्ट देखने में तकलीफ होना। अचानक से चलने या बैलेंस करने में परेशानी। चक्कर आना। अचानक बिना कारण सिर में तेज दर्द होना।

उपचार: इस्कीमिक स्ट्रोक में उपचार के अंतर्गत एक छोटे ट्यूब (कैथेटर) को पैर की खून की नली (धमनी या आर्टरी) के मार्ग से मस्तिष्क तक ले जाया जाता है। रक्त के जिस क्लॉट ने मस्तिष्क को रक्त पहुंचाने वाली नली को अवरुद्ध किया होता है, उसे एक विशेष विधि से मस्तिष्क से बाहर निकाल देते हैं। इस प्रक्रिया के बाद मस्तिष्क में रक्तसंचार सामान्य हो जाता है। इस कारण मरीज शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ करता है।

(डॉ.विपुल गुप्ता इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजिस्ट)

 

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