कमजोर दिल वालों को हो सकता है हीट स्ट्रोक

लाइफस्टाइल डेस्क. लंबे समय तक तेज गर्मी में रहने या शारीरिक गतिविधियों में लगे रहने से हीटस्ट्रोक (लू) होता है। अगर शरीर का तापमान 104 डिग्री फॉरेनहाइट (40 डिग्री सेल्सियस) या ज्यादा हो जाए, तो माना जाता है कि लू लग गई है।

लू तब लगती है जब शरीर का तापमान बढ़ता रहता है। ऐसे समय में इमरजेंसी ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। अगर ट्रीटमेंट नहीं किया जाए और स्ट्रोक के मरीज को कुछ घंटे तक छोड़ दिया जाए, तो मस्तिष्क, हृदय, किडनी और मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
उपचार में जितनी देरी होगी, ये स्थति गंभीर होती जाएगी और जटिलताओं तथा मौत की आशंका उतनी ही बढ़ती जाएगी। इसलिए, जल्दी से प्राथमिक उपचार बहुत जरूरी है। लंबे समय तक उच्च तापमान में रहने के कारण पहले से मौजूद बीमारी गंभीर रूप से ले सकती है, जिसके कारण मौत भी हो सकती है।

गर्मी से हृदय कैसे प्रभावित होता है?

- जब तापमान बढ़ता है तो शरीर उसे अपनाने और संतुलन बनाने की कोशिश करता है। इसके लिए त्वचा में खून का प्रवाह बढ़ाता है और पसीना छोड़ता है।

- पसीना निकलने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इससे शरीर में पंप किए जाने वाले खून का परिमाण कम हो जाता है। इससे हृदय और जोर से पंप करता है, ताकि खून की जो थोड़ी मात्रा रह गई है उसे पूरे शरीर में पंप किया जा सके।

- हृदय की बीमारी और हार्ट अटैक के उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए ये परिवर्तन हृदय को ज्यादा प्रभावित कर सकते हैं और इसका नतीजा हार्ट अटैक हो सकता है।

 

हृदय के स्वास्थ्य अनुमान कैसे लगाएं?

हृदय के धड़कन की दर के संबंध में जानकारी से फिटनेस के स्तर पर निगरानी रखने में सहायता मिल सकती है। साथ ही, स्वास्थ्य से संबंधित उभरती समस्याओं का पता लगाने में सहायता मिल सकती है। आप अपने बारे में ये जानकारियां रखें।

‘अपना नब्ज जानना’ कार्डियैक एरिथिमिया का पता लगाने के सबसे आसान तरीकों में एक है कार्डियैक। एरिथिमिया हृदय की धड़कन से होता है जो बहुत तेज, धीमा या अनियमित है। हृदय की धड़कन अगर बहुत तेज हो तो उसे ब्रैडीकार्डिया कहते हैं।

 

ज्यादातर एरिथिमिया नुकसानदेह नहीं होते हैं पर कुछ गंभीर या जानलेवा भी हो सकते हैं। एरिथिमिया शांत हो सकता है और मुमकिन है इसका कोई लक्षण भी ना हो। एरिथिमिया के दौरान संभव है कि हृदय शरीर को पर्याप्त खून ना पंप कर सके। खून के प्रवाह में कमी मस्तिष्क, हृदय और अन्य अंगों को क्षतिग्रस्त कर सकती है।

 

हृदय के इलेक्ट्रिकल सिस्टम को समझना:

 

एरिथमियास को समझने के लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि हृदय के अंदर की बिजली की प्रणाली को समझा जाए जो हृदय की धड़कन और रिद्म को नियंत्रित करता है। हृदय की प्रत्येक धड़कन से बिजली का एक सिग्नल हृदय के ऊपर से नीचे तक फैलता है और जैसे-जैसे यह सिग्नल आगे बढ़ता है, हृदय सिकुड़ता है और खून पंप करता है। इस प्रक्रिया के किसी भी हिस्से के साथ समस्या एरिथिमिया का कारण बन सकती है।

 

उदाहरण के लिए, एट्रियल फिबरिलेशन में एक सामान्य किस्म का एरिथमिया, बिजली के सिग्नल चलते हैं जो तेज और अव्यवस्थित तरीके से चलते हैं। इससे एट्रिया सिकुड़ने की बजाय कंपन करता है। सायनस नोट से वेंट्रीकल्स तक की यात्रा के दौरान बिजली के इस इंपल्स में देरी या इसे पूरी तरह रुक जाने से हार्ट ब्लॉक हो सकता है, जिसका उपचार सिर्फ पेस मेकर या आईसीडी से किया जा सकता है।

एरिथिमाय का उपचार कैसे करें?

 

शारीरिक जांच के दौरान डॉक्टर दिल की धड़कन में अनियमितता का पता लगा सकते हैं। इसके लिए आपके नब्ज की जांच की जा सकती है या इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी या ईकेजी) किया जा सकता है। एरिथिमिया जब गंभीर हो तो तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है, ताकि सामान्य रिद्म बहाल किया जा सके। इसमें शामिल हो सकता है : इलेक्ट्रिकल शॉक थेरेपी, कम अवधि के लिए हृदय में पेसमेकर लगाना, इंट्रावेनस दवाइयां (नस के जरिए दी जाती है) या खाने वाली दवाइयां।

 

इस समय, इम्प्लांट किए जाने योग्य कार्डियोवर्टर डीफिब्रिलेटर (आईसीडी) अनुशंसित थेरेपी है, जो वेंट्रीकुलर एरिथमिक मौतों के लिए प्राथमिक और सेंकड्री रोकथाम है। इम्प्लाट करने योग्य कार्डियोवर्टर – डीफिब्रिलेटर (आईसीडी) एक परिष्कृत इलेक्ट्रनिक उपकरण है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया और वेंट्रीकुलर फिब्रिलेशन के उपचार के लिए किया जाता है। ये दोनों जान के लिए खतरनाक असामान्य हृदय के रिद्म हैं। यह हृदय की धड़कन की लगातार निगरानी करता है। जब इसे तेजी से धड़कते हृदय का पता चलता है तो यह हृदय की मांसपेशियों को ऊर्जा पहुंचाता है, ताकि हृदय फिर सामान्य धड़कने लगे।

ये हो सकते हैं लक्षण..

 

- शरीर के तापमान में अचानक वृद्धि
- लाल, गर्म और सूखी त्वचा (पसीना बंद हो चुका है)
- सूखी और सूजी हुई जीभ
- नब्ज स्पंदन तेज
- सांस तेज चलना
- बहुत प्यास लगना
- सिरदर्द
- मितली आना उल्टी
- चक्कर आना
- दौरे पड़ना या बेहोशी

हीट स्ट्रोक से बचने के तात्कालिक उपाय… 

 

- कूलर या वातानुकूलित जगह पर चले जाएं।
- रीहाइड्रेट – काफी सारा पानी पिएं।

 

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