जंक फूड से बिगड़ रही सेहत, लग सकता है बैन

लाइफस्टाइल डेस्क. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी देश भर के स्कूलों की कैंटीन में हानिकारक जंक फूड पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव तैयार कर रही हैं। जंक फूड को लेकर पहले भी कई तरह के सवाल उठे हैं। खासकर, बच्चे यह काफी पसंद करते हैं, पर इससे उन्हें नुकसान होता है।

 

आइए, इसी बहाने जानते हैं जंक फूड क्या है और इसकी कौन-सी चीजें सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं। 53% तक हार्ट अटैक के खतरे को कम किया जा सकता है, यदि ट्रांस फैट की जगह हेल्दी फैट वाले फास्ड फूड खाए जाएं। 2.3 ग्राम ट्रांस फैट एक बच्चे को, 2.6 ग्राम एक वयस्क पुरुष को और 2.1 ग्राम एक वयस्क महिला को अधिकतम प्रतिदिन लेना चाहिए। यह मात्रा डब्ल्यूएचओ के अनुसार निर्धारित की गई है। ‘जंक फूड’ शब्द वर्ष 1972 में अमेरिकी वैज्ञानिक माइकल जेकोबसन ने पहली बार इस्तेमाल किया था। यहां जंक का मतलब कबाड़ जैसा होने से है। चूंकि, जिस तरह कबाड़ की बहुत कम कीमत होती है, उसी तरह जंक फूड में भी न के बराबर न्यूट्रिएन्ट्स होते हैं। साथ ही, नुकसान अधिक होता है।

 

नूडल्स…

 

इन्स्टैंट (तुरंत पकने वाला) और पैक्ड नूडल्स आज सबसे अधिक पसंद किए जाते हैं, लेकिन इनमें मौजूद कई हानिकारक तत्व बीमारियों को न्योता दे सकते हैं। सौ ग्राम नूडल्स में 138 कैलोरी होती है, जो फैट बढ़ाने और हृदय रोगों के लिए जिम्मेदार है। इसमें मौजूद मैदा आंतों के लिए हानिकारक है।
 

सोडियम : एक कप नूडल्स में 0.8 ग्राम सोडियम होता है। नूडल्स के जरिए सोडियम और मोनो सोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) शरीर में जाने से किडनी संबंधी रोग, हायपर टेंशन और हृदयाघात का जोखिम अधिक बढ़ जाता है।

 

पैकिंग से खतरे : इन्स्टैंट नूडल्स को प्रिजरवेटिव्स (रासायनिक औषधि) के साथ डिब्बों में बंद किया जाता है। साथ ही, बंद कप में प्लास्टिसाइजर भी मिल जाते हैं। इससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

 

रिसर्च : कंज्यूमर एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए दुनिया के 15 प्रमुख ब्रांड्स के नूडल्स के अध्ययन में पाया गया है कि इनमें पौष्टिक तत्व न के बराबर होते हैं। इनमें स्वीकृत मात्रा से अधिक नमक और फाइबर की बेहद कम मात्रा पाई गई है। इससे ब्लड प्रेशर और दिल के रोगों का जोखिम अधिक बढ़ जाता है। साथ ही, स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन आता है और तनाव बढ़ता है।

 

पिज्जा…

 

प्रत्येक 28 ग्राम के एक पिज्जा पीस में 18.5 ग्राम फैट होता है। यह शरीर को रोजाना मिलने वाले फैट (डेली वैल्यू) का 28 फीसदी होता है। पिज्जा की एक स्लाइस में 151 कैलोरी होती है।

 

फैट : पिज्जा में मौजूद चीज और मैदा अनसैचुरेटेड फैट को बढ़ाता है। इससे मेटाबॉलिक रेट कम होती है और हृदय संबंधी रोगों का जोखिम अधिक बढ़ जाता है।

 

सोडियम : 150 ग्राम के पिज्जा में करीब 6.75 ग्राम सोडियम होता है, जबकि एक वयस्क पुरुष को एक दिन में अधिकतम 2.3 ग्राम सोडियम की जरूरत होती है। अधिक सोडियम से हाई ब्लड प्रेशर का खतरा होता है।

 

रिसर्च : द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिएन्ट्स के एक अध्ययन के मुताबिक, पिज्जा में इस्तेमाल होने वाला अनाज पेट की चर्बी को बढ़ाता है, जो घातक हो सकता है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में हुए एक अध्ययन के अनुसार, विसेरल (आंत संबंधी) एबडोमिनल फैट से टाइप-2 डायबिटीज, ब्रेस्ट कैंसर और हृदय संबंधी रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

बर्गर…

 

वजन बढ़ाने में बर्गर की अहम भूमिका होती है, क्योंकि यह हाई कैलोरी फूड है। सौ ग्राम के एक हैमबर्गर में करीब 295 कैलोरी होती है। इसमें करीब 14 फीसदी तक फैट होता है।

कोलेस्ट्रॉल : बर्गर में मौजूद तेल रक्त में कोलेस्ट्रॉल को और शरीर में फैट को बढ़ाता है। इसमें मौजूद मैदे से आंत और हृदय रोगों का जोखिम बढ़ता है। इससे अनसैचुरेटेड और ट्रांस फैट दोनों बढ़ते हैं। एक अध्ययन के अनुसार ट्रांस फैट जानलेवा तक हो सकता है।

मेयोनीस सॉस : यह कोलेस्ट्रॉल और फैट को बढ़ाने का काम करता है। गौरतलब है कि एक डबल हैमबर्गर में 21.6 ग्राम सैचुरेटेड फैट और 172 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। यदि मेयोनीस सॉस के बिना सिंगल बर्गर खाया जाए तो इस आंकड़े को 3.5 ग्राम सैचुरेटेड फैट और 26 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल पर लाया जा सकता है। जानकारों के अनुसार, नॉनवेज बर्गर में कोलेस्ट्रॉल का खतरा अधिक होता है।

सोडियम : मेयोनीस के साथ परोसे एक डबल हैमबर्गर में 1.08 ग्राम सोडियम होता है, जबकि एक वयस्क व्यक्ति को एक दिन में 2.3 ग्राम से अधिक सोडियम नहीं लेना चाहिए। इस तरह हैमबर्गर से हाई ब्लडप्रेशर और किडनी के रोगों का जोखिम बढ़ जाता है।

रिसर्च : द फिजिशियन कमेटी फॉर रिस्पॉन्सिबल मेडिसिन ने अपने एक अध्ययन में पाया है कि बर्गर सिगरेट के बराबर ही घातक है। इससे कोलोरेक्टल कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। यह मोटापा बढ़ाने के लिए भी जिम्मेदार है, जबकि वेज बर्गर में यह खतरा अपेक्षाकृत कम रहता है।

तब नहीं है जंक फूड नुकसानदेह 

फास्ट फूड के रूप में मिलने वाले प्रोडक्ट तब जंक फूड में बदल जाते हैं, जब इनमें निर्धारित सोडियम, फैट और शुगर की मात्रा के अनुपात को चालाकी से बढ़ा दिया जाता है। ऐसा होने से अच्छे स्वाद के कारण लोगों को पर्याप्त मात्रा में कैलोरी मिलने के बाद भी उनकी इच्छा और खाने की होती है।

 

यदि तय मानकों के आधार पर इसके अवयवों को शामिल किया जाए तो इसे खाना हानिकारक नहीं है। डायटिशियन्स की सलाह मानें तो एक महीने में एक बार पिज्जा, बर्गर खाया जा सकता है।

 

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