प्रीडाइबिटीज: हल्के में लेना पड़ेगा भारी

प्री डाइबिटीज सामान्य रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) और मधुमेह के बीच की अवस्था है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में ‘ग्रे जोन’ कहा जाता है। प्री डाइबिटीज में व्यक्ति का शरीर इंसुलिन का प्रयोग सही प्रकार से नहीं कर पाता। इसीलिए ब्लड शुगर शरीर की कोशिकाओं (सेल्स) में ऊर्जा की तरह इस्तेमाल नहीं हो पाती। इस स्थिति को इंसुलिन प्रतिरोध या इंसुलिन रेजिस्टेंस कहते हैं।

प्री-डाइबिटीज में ब्लड शुगर कुछ इस प्रकार होता है..

-खाली पेट की स्थिति में शुगर 100 मि.ग्रा./ डी.एल. से 125 मि.ग्रा./ डी.एल. । इसे इम्पेयर्ड फास्टिंग कहा जाता है।

-खाना खाने या 75 ग्राम ग्लूकोज के सेवन के 2 घंटे बाद 140 मि.ग्रा./ डीएल से 199 मि.ग्रा./ डीएल। इस स्थिति को इम्पेयर्ड ग्लूकोज टॉलरेंस कहा जाता है।

कारण

टाइप 2 मधुमेह और प्री डाइबिटीज के कारण सामान्य होते हैं। खान-पान की गलत आदतें ,व्यायाम न करना और मोटापे से ग्रस्त होना आदि मधुमेह टाइप 2 व प्री डाइबिटीज के प्रमुख कारणों में से हैं। प्री डाइबिटीज के अन्य कारणों में परिवार में मधुमेह का इतिहास, गर्भावस्था में मधुमेह और महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम नामक स्वास्थ्य समस्या को भी शामिल किया जाता है। अगर आपकी उम्र 30 साल से अधिक है और आप व्यायाम नहीं करते, या आपका वजन ज्यादा है या आपके परिवार के किसी सदस्य को मधुमेह की समस्या रही हो, तो आप अपनी जांच डॉक्टर से सलाह लेकर जरूर करवाएं।

जांच

प्री डाइबिटीज की जांच के लिए खाली पेट रक्त-शर्करा (ब्लड शुगर) की जांच की जाती है और 75 ग्राम ग्लूकोज को पानी में घोलकर पिलाया जाता है। इसके 2 घंटे बाद रक्त शर्करा की जांच की जाती है। कई लोगों को मानना है कि ऐसे लोग ‘बॉर्डरलाइन डाइबिटिक’ हैं, परंतु वास्तव में वे प्री डाइबिटीज से ग्रस्त होते हैं।

(अंबरीश मित्तल, इंडोक्राइनोलॉजिस्ट

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