बच्चों को बीमारियों से बचाने के उपाय

जाड़े का मौसम आ गया है, तो आप गर्म कपड़े तो निकाल ही चुके होंगे। लेकिन अगर आपके परिवार में छोटे बच्चे हैं, तो आप उनकी सेहत को लेकर भी चिंतित होंगे। इसलिए हमने विशेषज्ञों से बातचीत कर आपके लिए कुछ जरूरी उपाय सुझाए हैं। इन उपायों को अपना कर आप बच्चों को मौसम से जुड़ी दुश्वारियों से काफी हद तक बचा सकते हैं।

संक्रमण का खतरा

इस मौसम में श्वसन तंत्र यानी सांस सांस संबंधी रोगों के संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा होता है। कई गंभीर किस्म के वाइरस इस पर निशाना बनाने की ताक में होते हैं। समस्या शुरू होती दिखे, तभी आपको सतर्क हो जाना चाहिए। अगर यह समस्या ज्यादा हो, तब तो दवाओं से ही मदद मिल सकती है, लेकिन डाक्टरों के पास जाने की नौबत आने से पहले ही अगर आप कुछ उपाय कर लें तो शायद शुरुआती स्तर पर ही इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है। हल्की-सी भी समस्या शुरू होते ही कुछ कदम उठाना ठीक रहेगा। बच्चों को हल्के गुनगुने पानी में एक चुटकी नमक डालकर गरारा करने को दें। दिन में दो-तीन बार इस प्रक्रिया को अपना सकते हैं। इसी तरह सामान्य कुनकुने पानी से भाप(स्टीम) लेना भी बहुत ही मददगार साबित होता है। बच्चों को स्टीम देने के लिए कई तरह के उपाय किए जा सकते हैं। इन दिनों स्टीम दिलाने के लिए बिजली से चलने वाली छोटी-सी मशीन लगभग दो-तीन सौ रुपए में आसानी से उपलब्ध हो जाती है।

अगर यह मशीन उपलब्ध नहीं हो, तो किसी बड़े बर्तन में पानी को खौला कर सामने रख लें। एक चादर में अपने साथ बच्चे को लेकर बैठ जाएं। बच्चों को यह अनुभव थोड़ा कष्टकर लगेगा, लेकिन आप चाहें तो आसानी से इसे मनोरंजक बना सकते हैं। स्टीम देते हुए उससे उसकी पसंद की बातें करें ताकि वह इससे ऊबे नहीं। इस तरह आप पांच मिनट तक उसे आसानी से स्टीम दिला सकते हैं। कुछ मामलों में बच्चों को नेजल स्प्रे की भी जरूरत हो सकती है। आजकल बंद नाक को खोलने के लिए कई सुरक्षित स्प्रे उपलब्ध हो गए हैं।

कुछ अन्य सार्थक सुझाव

दांत और मुंह की सफाई भी बेहद जरूरी है। दोनों समय ब्रश करके और जरूरत पड़ने पर माउथवाश का सहारा लेकर आप सिर्फ दांत को ही स्वस्थ नहीं बनाते, बल्कि सर्दी-जुकाम को भी काफी हद तक दूर कर सकते हैं। बच्चे सर्दियों के दिनों में पानी से डरते हैं लेकिन आपको खासतौर पर इस बात का ध्यान रखना होगा कि इस मौसम में वे नियमित हाथ धोने की आदत नहीं छोड़ें। जाड़े के मौसम के दौरान खास तौर पर दीवारों, टेबलों और दरवाजों के हेंडल आदि पर ऐसे जीवाणुओं के होने की आशंका बढ़ जाती है। हाथों के जरिए ये शरीर में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं, लेकिन हर बार खाने से पहले और खेलकर आने के बाद हाथ धोने की आदत डाल दें। इसी तरह जाड़े में बच्चों को नियमित नहलाना नहीं भूलें। बच्चों को जरूरी गर्म कपड़े तो पहनाएं ही, लेकिन यह ध्यान रखें कि ये जरूरत से ज्यादा चुस्त नहीं हों।

विटामिन सी और एंटी ऑक्सीडेंट्स

फल-सब्जियां विटामिन सी और एंटी ऑक्सीडेट्स से भरपूर होती हैं। ये दोनों ही ऐसे तत्व हैं, जो आपके बच्चे में प्राकृतिक तरीके से रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ा सकते हैं। एंटी ऑक्सीडेट्स रक्त में प्रवाहित होते रहते हैं और इस तरह पूरे शरीर के ऊतकों (टिश्यूज) को सुरक्षा प्रदान करते हैं। मोटरसाइकिल या कार में इंजन आयल का जो काम होता है, ये एंटी आक्सीडेंट उसी तरह शरीर को लगातार काम करते रहने के लिए तैयार करते हैं। बाहरी हमलों से शरीर जितना बचा रहेगा, उसे संक्रमण का खतरा उतना ही कम होगा।

मोटापा शरीर की श्वेत रक्त कोशिकाओं को एंटीबॉडी तैयार करने में बाधा पहुंचाता है। इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधी क्षमता प्रभावित हो जाती है। इसलिए खास तौर पर ध्यान रखना होगा कि बच्चों के खाने में मोटापा बढ़ाने वाली चीजें सीमित मात्रा में ही हों। कोल्ड ड्रिंक, चिप्स और बर्गर जैसे जंक फूड्स के उपयोग को तो जितना सीमित रखें, अच्छा है। जाड़े में खास तौर पर यह भी ध्यान रखना होगा कि बच्चे चाय और काफी के सेवन को भी ज्यादा न बढ़ा दें। ठंड के मौसम में बच्चे रजाई में घुसे रहना चाहते हैं। जबकि आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि वे शारीरिक रूप से उतने ही सक्रिय रहें। व्यायाम कर के आप और आपके बच्चे अपने रोग प्रतिरोधी तंत्र (इम्यून सिस्टम) को सक्रिय रख सकते हैं। ऐसा नहीं करने पर बच्चों की जीवन- शैली को लेकर किए गए आपके किसी उपाय का कोई नतीजा नहीं मिल सकेगा।

 

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