सभी प्रकार के घावों में कारगर है लेड

घाव चाहे पुराना या बड़ा हो, उसके इलाज में लिमिटेड एक्सेस ड्रेसिंग काफी कारगर तकनीक है। इससे मरीज का घाव जल्द भरने के साथ ही एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग भी कम होता है। यह तकनीक विशुद्ध रूप से देशी है। इसे अपने देश के मरीजों को ध्यान में ही रखकर ईजाद किया है। यह विचार शनिवार को वुंडस केयर काफ्रेंस 2012 में मणिपाल, कर्नाटक से आए डॉ. प्रभात कुमार ने व्यक्त किए।

उन्होंने बताया कि इस तकनीक को भी उन्होंने ही ईजाद किया। इसकी सफलता का प्रतिशत सभी प्रकार के घावों में काफी अच्छा है। इसमें पूरे घाव को प्लास्टिक सीट से कवर कर दिया जाता है। फिर घाव पर निगेटिव प्रेशर डालकर पस आदि को बाहर निकाला जाता है। इससे घाव जल्द भरता है।

इसके साथ ही इसका संक्त्रमण भी किसी अन्य मरीज को नहीं होता है। उन्होंने बताया कि इससे पहले कई बार बड़े घावों में संक्त्रमण से मरीजों के लंग, किडनी या ब्रेन में इन्फेक्शन हो जाता था, जिससे उनकी मौत हो जाती थी। यह तकनीक काफी सस्ती है। साथ ही इससे इमरजेंसी में किए जाने वाले ऑपरेशन को भी टाला जा सकता है।

कर्नाटक से आए डॉ. रंजीत मिर्जे ने बताया कि वैक तकनीक केवल घाव भरने में ही नहीं, स्किन ग्राफ्टिंग में भी कारगर है। इसमें मरीज के ग्राफ्टिंग बेस पर रुई की ड्रेसिंग कर स्पंज रखकर उसमें ट्यूब द्वारा सक्शन किया जाता है। इससे खाल पूरी तरह बेस पर अच्छी तरह चिपक जाती है। साथ ही घाव भी तेजी से भरता है।

कारगर है लोकल टर्न ओवर फ्लैप

ऑल इंडिया प्लास्टिक सर्जरी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. ए के सिंह ने पुरानी विधियों को भी घाव भरने में काफी कारगर बताया। उन्होंने कहा कि इसमें लोकल टर्न ओवर फ्लैप काफी कारगर है। इसमें चोट के पास वाले हिस्से से लेकर घाव को भरा जा सकता है। इस विधि का प्रयोग उन घावों में ज्यादा कारगर है, जहा पर हड्डी खुली हो या फिर शरीर के किसी हिस्से में फॉरेन पार्टिकल हो। जहा पर घाव के भरने की संभावना काफी कम होती है।

फ्रिज के ठंडे पानी से नहीं धोएं जले हुए घाव को

नई दिल्ली से आए सीनियर प्लास्टिक सर्जन डॉ. प्रभात श्रीवास्तव ने बताया कि जलने पर सबसे पहले घाव को टंकी के साफ पानी से धोना चाहिए। फ्रिज के ठंडे पानी का प्रयोग नहीं करें। इससे मासपेशियों के सिकुड़ने से घाव भरने की रफ्तार कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि जले हुए मरीजों के इलाज में इश्यारोटॉमी और फेशियोटॉमी काफी कारगर है। इसमें मासपेशियों को खोलकर रक्त प्रवाह सुचारू किया जाता है। जिससे बुरी तरह जल चुकी छाती के इलाज में काफी आसानी होती है। इसके अलावा बर्न वूंडएक्सीजन भी काफी कारगर है। इसमें जली हुई स्किन को पूरी तरह हटाकर नई स्किन को ट्रासप्लाट किया जाता है। लेकिन इसका प्रयोग समुचित साधन उपलब्ध होने पर ही किया जाना चाहिए।

पैरों के घावों का विशेष ध्यान रखें मधुमेह रोगी

नई दिल्ली से आए डॉ. एसपी बजाज ने मधुमेह रोगियों को पैरों के घाव का विशेष ध्यान रखने को कहा। उन्होंने बताया कि 10 वर्ष से अधिक के मधुमेह रोगियों में से 15 प्रतिशत में यह घाव होते हैं। लापरवाही बरतने पर इसमें से 25 प्रतिशत लोगों के पैर काटने पड़ते हैं। इसलिए ऐसे लोगों के इलाज में ऑफ लोडिंग तकनीक कारगर है। इसमें मरीजों को बिना मोजे के जूता नहीं पहनने और फीट जूता पहनने की सलाह दी जाती है। ऐसे लोग अपने पैरों को ड्राई नहीं होने दें। लगातार चलने की जगह रुक-रुक कर चलें, जिससे पैरों पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़े। उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों के पैरों में सुन्नपन की शिकायत हो जाती है। इससे उन्हें पैरों पर पड़ने वाले दबाव का आभास ही नहीं होता है। इससे पैरों में घाव बन जाते हैं।

 

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