Diseases and Treatment

नींद न आती है तो हो जाएं सावधान!

यदि आप भी रात को करवटें बदलते रहते हैं और ठीक से सो नहीं पाते हैं तो जरा इस रिपोर्ट को जरूर पढ़ें। हाल ही में पता चला है कि 

बरसात के मौसम में आंखों और त्वचा की एेसे करें देखभाल

मौसम के बदलने के साथ-साथ शरीर को कई रोगों का सामना करना पड़ सकता है। स्पर्श रोग  होने का खतरा भी बढ़ जाता है। कभी ज्यादा गर्मी तो कभी बरसात शुरू हो जाती है।दिन में तेज़ धूप और दोपहर के समय बरसात होने लगती है। एेसे में इनफ़ेक्शन होने का खतरा भी बढ़ जाता है। एेसे मौसम में सबसे ज्यादा त्चचा को नुक्सा

न्यूरल स्टेम सेल्स - हताशा को बदलें आशा में

न्यूरो डीजेनरेटिव डिसआर्डर तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) में लगातार होने वाली क्षीणता से उत्पन्न रोगों का एक समूह है। इस समूह में मुख्यत: एमायोट्रापिक लैटीरल स्क्लीरोसिस (एएलएस या मोटर न्यूरॉन डिजीज-एमएनडी), अल्जाइमर डिजीज और पार्किन्संस डिजीज को शामिल किया जाता है।

प्रीडाइबिटीज: हल्के में लेना पड़ेगा भारी

प्री डाइबिटीज सामान्य रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) और मधुमेह के बीच की अवस्था है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में ‘ग्रे जोन’ कहा जाता है। प्री डाइबिटीज में व्यक्ति का शरीर इंसुलिन का प्रयोग सही प्रकार से नहीं कर पाता। इसीलिए ब्लड शुगर शरीर की कोशिकाओं (सेल्स) में ऊर्जा की तरह इस्तेमाल नहीं हो पाती। इस स्

जब मौसमी बुखार करे परेशान

बुखार की बात हो तो हमारा ध्यान सीधे शरीर के बढ़े हुए तापमान पर जाता है। दरअसल, बुखार कोई रोग नहीं, बल्कि शरीर में हो रही कई प्रकार की गड़बड़ियों का सूचक है। ध्यान देने की बात ये है कि बुखार को मजाक में लेना घातक भी हो सकता है। यूं तो बाजार में शरीर के तापमान को कम करने के लिए दवाइयों की भरमार है, ल

शयनकक्ष में बहुत रोशनी बढ़ा सकती है मोटापा

लंदन : क्या आपको आपकी बढ़ती वजन की कोई वजह नजर नहीं आ रही तो आपको इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि आपके शयनकक्ष में तेज रोशनी तो नहीं रहती। एक नए अध्ययन से बात सामने आई है कि सोते वक्त कमरे में बहुत अधिक रोशनी महिलाओं में वजन बढ़ाने की वजह होती है।

कड़वे अनुभव से दूर रहना है तो खाएं मीठी नीम

हम भोजन में से कढ़ी पत्ता अक्सर निकाल कर अलग कर देते है. इससे हमें उसकी खुशबू तो मिलती है पर उसके गुणों का लाभ नहीं मिल पाता. कढ़ी पत्ते को धो कर छाया में सुखा कर उसका पावडर इस्तेमाल करने से बच्चे और बड़े भी भी इसे आसानी से खा लेते है, इस पावडर को हम छाछ और निम्बू पानी में भी मिला सकते है.

स्किन कैंसर से नहीं बचा सकते सन्सक्रीन

जब त्वचा कैंसर से खुद को बचाने की बात हो, तो मन में थोड़ा डर होना जरूरी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि त्वचा कैंसर के डर और चिंता से ग्रस्त लोग इस बीमारी के उत्पन्न होने की वजहों को जानने और सावधानी बरतने के बजाय त्वचा पर सन्सक्रीन लगाने का विकल्प चुनते हैं।

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