यह एक प्रकार की गठिया है, जिसमें रक्त और टिश्यूज में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। यूरिक एसिड के क्रिस्टल जोड़ों में जमा होकर गाउटी अर्थराइटिस को उत्पन्न करते हैं।
लक्षण
जब मानव रक्त में यूरिक एसिड के ठोस अणुओं का जमाव होने लगता है और शरीर के कई जोड़ों में पीड़ा होने लगती है तो यह गाउटी अर्थराइटिस रोग होने का संकेत है। आम तौर पर पैर के अंगूठे और घुटने में इस रोग का लक्षण सबसे अधिक प्रकट होता है। ज्यादातर मामलों में यह रोग तीन से दस दिनों तक अटैक करता है। इसमें से 24 से 36 घंटों तक बहुत तेज दर्द होता है। अगर गठिया के अटैक बार-बार हुए हों, तो इसे ठीक होने में ज्यादा समय लग सकता है। इस मर्ज में जोड़ प्राय: सूज जाते हैं और इनमें दर्द होता है। यह स्थिति कालांतर में क्रॉनिक अर्थराइटिस और एडवांस अर्थराइटिस का रूप ले लेती है।
जांचें:
कुछ प्रमुख जांचों के आधार पर इस रोग का पता लगाया जाता है।
रक्त जांच: खून में यूरिक एसिड का स्तर अगर ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि व्यक्ति गाउटी अर्थराइटिस से पीड़ित है।
साइनोवियल फ्लूड: इसे श्लेष द्रव भी कहते हैं, जो जोड़ों के बीच पाया जाता है। जोड़ों के अंदरसे इस द्रव को लेकर इसका टेस्ट किया जाता है जिसमें,मोनोसोडियम युरेट क्रिस्टल पाए जाते हैं।
यूरीन टेस्ट: कभी-कभी यूरिक एसिड मूत्र में भी पाया जाता है, जिसके टेस्ट से गाउटी अर्थराइटिस का पता लगाया जा सकता है।
एक्सरे: जिस जगह पर सूजन होती है उसका एक्सरे किया जाता है। एडवांस गाउटी अर्थराइटिस में एक्सरे पॉजिटिव हो जाता है।
बचाव
-गाउटी अर्थराइटिस के मरीजों को अधिक प्रोटीन वाले खाद्य पदार्र्थो से परहेज करना चाहिए।
-मांसाहार, दाल, पनीर और टमाटर के साथ ही शराब और धूम्रपान से परहेज करना चाहिए।
-पोषणयुक्त आहार का सेवन करना चाहिए।
-पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
-मोटापे से ग्रस्त हैं, तो वजन कम करें।
उपचार
गाउटी अर्थराइटिस के इलाज में डॉक्टर सबसे पहले आम तौर पर नॉन स्टेराइडल एंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग (एनएसएआईडी) का प्रयोग करते हैं। जैसे इंडोमेथासिन, इबुप्रूफेन या नेप्रोक्सिन एनाप्रॉक्स और नेप्रोसिन आदि। यदि एनएसएआईडी कारगर नहीं हो रही हैं, तो डॉक्टर आपको कॉर्टिकोस्टेरॉइड लेने का सुझाव देते हैं। क्रॉनिक एडवांस अर्थराइटिस में सर्जरी के जरिये चिकित्सा की जाती है।