
बढ़ते वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर प्रभाव: एंटीबॉयोटिक दवाइयों की प्रभावशीलता पर असर
1. वायु प्रदूषण और बढ़ते स्वास्थ्य जोखिम
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण से न केवल सांस की समस्याएं बढ़ रही हैं, बल्कि यह हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली और दवाइयों की प्रभावशीलता को भी प्रभावित कर रहा है। शोध से यह साबित हुआ है कि वायु प्रदूषण से जीवाणुओं की क्षमता में वृद्धि हो रही है, जिससे एंटीबॉयोटिक दवाएं कम प्रभावी हो रही हैं।
2. एंटीबॉयोटिक दवाओं का असर कम होता है
वायु प्रदूषण से उत्पन्न प्रदूषक तत्वों, विशेष रूप से कार्बन, के कारण संक्रमण पैदा करने वाले जीवाणु अधिक मजबूत हो जाते हैं। यह जीवाणु श्वसन तंत्र में फैलने के लिए अधिक सक्षम हो जाते हैं, और एंटीबॉयोटिक दवाओं के खिलाफ उनका प्रतिरोध भी बढ़ जाता है। शोध से यह सामने आया है कि वायु प्रदूषण एंटीबॉयोटिक के असर को कम कर देता है, जिससे संक्रमित व्यक्तियों का इलाज करना मुश्किल हो जाता है।
3. शोध में क्या पाया गया?
ब्रिटेन में किए गए शोध के अनुसार, वायु प्रदूषण से दो प्रमुख श्वसन संबंधी रोगजनकों - स्टेफाइलोकोकस अयूरियस और स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया - के एंटीबॉयोटिक प्रतिरोधकता में वृद्धि होती है। इन दोनों जीवाणुओं के कारण श्वसन संक्रमण होते हैं और ये एंटीबॉयोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होते हैं।
4. प्रदूषण और शरीर के श्वसन तंत्र पर असर
शोध में यह भी बताया गया कि वायु प्रदूषण, खासकर कार्बन प्रदूषक तत्व, श्वसन तंत्र (नाक, गला और फेफड़े) पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यह प्रदूषक जीवाणु के उत्पन्न होने और उसके समूह बनाने की प्रक्रिया को बदल देते हैं, जिससे ये जीवाणु अधिक खतरनाक हो जाते हैं और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली से लड़ने में सक्षम हो जाते हैं।
5. वायु प्रदूषण का बढ़ता खतरा
शोध से यह भी खुलासा हुआ कि वायु प्रदूषण के कारण स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया के जीवाणु नाक से फेफड़ों तक फैलते हैं, जिससे श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारियों का खतरा और बढ़ जाता है। यह प्रदूषण से पैदा होने वाली समस्याओं का गंभीर संकेत है, जो स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती बन रही है।
अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएं: www.nutriWorld.net.in
- Log in to post comments