सबड्यूरल हेमाटोमा……… क्या है यह रोग और इसका इलाज क्या है?
कारण
इस बीमारी में ब्रेन के बाहरी भाग में स्थित ड्यूरा (एक झिल्ली) के निचले भाग में खून जमा हो जाता है। सिर में किसी प्रकार की चोट के कारण सर्वाधिक आशंका इसी बात की होती है कि आसपास खून का थक्का जमा हो जाता है। इसके चलते ब्रेन में खून का दबाव बढ़ जाता है। यह समस्या उम्रदराज लोगों में भी हो सकती है या फिर ऐसे लोगों में इसके होने की आशंका रहती है, जो रक्त को पतला करने वाली दवाएं लेते हैं। सामान्यतया कम खून जमने की स्थिति में इस रोग के लक्षण नजर नहीं आते हैं, जबकि अधिक मात्रा में खून जम जाने पर मरीज कोमा में जा सकता है। उम्रदराज लोगों में सिर में चोट लगने की स्थिति में क्रॉनिक सब ड्यूरल हेमाटोमा की बीमारी हो सकती है। अधिकतर मामलों में इस रोग के कारणों का पता नहीं चल पाता है।
इस रोग के कारणों से संबंधित एक रिपोर्ट के मुताबिक 72 प्रतिशत मामलों में गिरने या लड़ाई के दौरान चोट लगने के कारण यह बीमारी होती है, जबकि 24 प्रतिशत मामलों में यह वाहन दुर्घटना के चलते होती है। यदि सबड्यूरल हेमाटोमा का आकार बढ़ जाता है तो इससे ब्रेन पर खून का दबाव भी बढ़ जाता है। साथ ही, ब्रेन के टिश्यू अपने स्थान से खिसक सकते हैं।
सेरेब्रल एट्रॉफी (वृद्धावस्था में दिमाग का सिकुड़ जाना) का सीधा संबंध क्रॉनिक सबड्यूरल हेमाटोमा से होता है। अन्य कारणों में लंबे समय तक शराब का अत्यधिक सेवन करना और मिर्गी रोग को शामिल किया जाता है। इसके अलावा हृदय से संबंधित रोगों को शुमार किया जाता है, जिनमें पीड़ित व्यक्ति एस्पिरीन तत्व से युक्त दवाओं का सेवन करते हैं।
इलाज
अगर सबड्यूरल हेमाटोमा का साइज कम हो, तो यह रोग अपने आप ठीक हो सकता है, लेकिन यदि यह बड़ा होता है, तो इसकी सर्जरी जरूरी हो जाती है।
न्यूरोइमेजिंग के माध्यम से हेमाटोमा के बारे में पता लगाया जाता है। इसी परीक्षण और अन्य स्वास्थ्य परीक्षणों के आधार पर इस रोग का इलाज सुनिश्चित किया जाता है। इस रोग में समय पर इलाज या सर्जरी से शीघ्र लाभ मिलता है।
(डॉ.अमिताभ गुप्ता न्यूरो-स्पाइन सर्जन इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर, नई दिल्ली।)