मेडिकल साइंस में इस साल हुई प्रमुख उपलब्धियों और प्रगति से संबंधित तीसरी कड़ी पेश कर रहे हैं विवेक शुक्ला…
मेदांत दि मेडिसिटी , गुड़गांव के सीनियर इंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. अंबरीश मित्तल के अनुसार इस साल मधुमेह (डाइबिटीज) के इलाज में नई दवाओं के आने से इलाज बेहतर हुआ है। जैसे ‘डी पी पी -4′ इनहिबिटर्स नामक दवा के उपलब्ध होने से अब हाइपोग्लाइसीमिया (लो शुगर) होने का खतरा नहीं होता। इसी तरह ‘जी एल पी एनालॉग्स’ नामक दवा शुगर कम करने के साथ-साथ वजन भी कम करती है। यह दवा भोजन के बाद इंसुलिन को बढ़ावा देने के लिए शरीर में अपनी सिग्नल प्रणाली का उपयोग करती है। 2015 में ऐसे ‘जी एल पी एनालॉग्स’ उपलब्ध हो जाएंगे, जो सप्ताह में एक बार दिये जा सकेें।
नई दवा जैसे ‘एस जी एल टी 2′ गुर्दों (किडनी) द्वारा पुन: अवशोषित (रिएब्सॉर्ब) किए जा रहे ग्लूकोज को रोकती है। इस दवा के प्रयोग से शरीर का ग्लूकोज पेशाब के रास्ते निकल जाता है।
दवाओं में ही नही यंत्रों में भी काफी सुधार हुआ है। ऐसे ग्लूकोमीटर उपलब्ध हैं, जिससे आप शुगर जांच करें तो आपके डॉक्टर तक आपकी रिपोर्ट तुरंत अपने आप पहुंच जाएगी। इसके अलावा कॉन्टीनुअस ग्लूकोज मॉनीटरिंग सिस्टम (सी जी एम एस) द्वारा आप अपनी शुगर की जांच लगातार कर सकते हैं। यह शुगर पर नियंत्रण लाने में बहुत सहायक होता है। अब पहले से बेहतर इंसुलिन भी उपलब्ध हैं, जिससे शुगर कम होने का खतरा कम होता है। इंसुलिन का प्रभाव लंबे समय तक रहता है। कई वर्षों से यह शोध जारी है कि इंसुलिन को सुई की जगह किस प्रकार दिया जा सके। आने वाले वर्षों में उम्मीद है कि ओरल इंसुलिन पर चल रही शोध सफल होगी।
मिरगी के मरीजों को मिलेगी राहत
निकट भविष्य में मिरगी के उन मरीजों को राहत मिलेगी, जिनका दौरा दवाओं से भी नियंत्रित नहींहोता। अमेरिका में ईजाद की गयी एक नई न्यूरोलॉजिकल डिवाइस या उपकरण के जरिये मिरगी के दौरों को रोका जा सकता है। इस डिवाइस को सर्जरी के जरिये शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। यह डिवाइस दौरा पड़ने के कारणों को तलाशने में सक्षम है और जिन कारणों से कुछ देर बाद दौरा आ सकता है, उन्हें विद्युतीय तरंगों के जरिये दौरे के लक्षणों के प्रकट होने के पहले ही खत्म कर दिया जाता है। ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए कि निकट भविष्य में भारत में भी यह डिवाइस उपलब्ध हो सकेगी।
ल्यूकीमिया की नई दवा
कुछ प्रकार के कैैंसर बहुत गंभीर होते हैं, जिनमें क्रॉनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकीमिया (सीएलएल) को भी शामिल किया गया है। यह ब्लड कैंसर का एक प्रकार है। इस कैंसर को नियंत्रित करनें में मुंह से ली जाने वाली दवा (ओरल ड्रग) इब्रूटिनिब काफी कारगर हुई है। अभी तक इस दवा के क्लीनिकल ट्रॉयल काफी सफल रहे हैं और ऐसी संभावना है कि जल्द ही इसे अमेरिका के फूड्स एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) से भी स्वीकृति मिल जाएगी। यह दवा कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं पर ही प्रहार करती है। इसका असर शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र पर नहीं पड़ता।