आगे उन्होंने मिशेल की कहानी शेयर की है मिशेल 4 साल की एक सुंदर बच्ची थी उसको पीठ और पेट की तकलीफ रहती थी जब डॉक्टरों ने उसका परीक्षण किया तो पाया कि उसको न्यूरोब्लास्टोमा नामक कैंसर है। पूरा परिवार गहरे सदमे में डूब गया बीमारी का पता लगने के बाद मिशेल को सर्जरी के लिए ले जाया गया सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने देखा कि मिशेल खटीमा फैल चुका है अब इसे हटाने का कोई रास्ता नहीं था साथियों जब मैं बता दूं आपको कि कैंसर की सर्जरी प्रथम चरण में ही हो सकती है जब कैंसर जहां पर हुआ है वहीं पर स्थित होता है तब सर्जरी द्वारा ट्यूमर को हटाया जा सकता है लेकिन जब कैंसर पूरे शरीर में फैल जाता है तो सर्जरी से कोई मदद नहीं मिलती तो सिर्फ कीमोथेरेपी ही एक रास्ता बचता है थोड़ा तो साथियों डॉ मिशेल के बचने के बारे में आशावादी नहीं थे मिशेल की मानें डॉक्टर रेंड स्टैंड से संपर्क किया और उन्होंने कहा की बच्ची को नुकसान ना हो उसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार है उसको अतिरिक्त पोषक तत्व देना शुरू किया लेकिन उस के कैंसर के चिकित्सक इस पक्ष में नहीं थे कि उसको कुछ अलग से दिया जाए कीमोथेरेपी में पूरे शरीर में बहुत अधिक कमजोरी आ जाती है ऐसे में मिशेल की हालत बिगड़ने लगी सभी को यह चिंता लगी हुई थी कि वह जिंदा रह नहीं पाएगी या नहीं लेकिन मिशेल बड़ी साहसी बच्ची थी और उसने सब कुछ सहन किया उसका टयूमर सिकुड़ने लगा इस बात ने डॉक्टरों का हौसला बढ़ा दिया अब डॉक्टरों को लगने लगा कि ट्यूमर का ऑपरेशन करके निकाला जा सकता है। डॉक्टरों ने ऑपरेशन करके उसके टयूमर निकाल दिए और उन्होंने ऑपरेशन थिएटर से निकलने के बाद मिशेल की मां को बताया कि कीमोथेरेपी के प्रति इससे अच्छी प्रतिक्रिया कोई नहीं हो सकती थी लेकिन मिशेल का इलाज ही पर खत्म नहीं हो रहा था अब उसे बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत थी मिशेल के फादर भी डॉक्टर थे उन्होंने कहा कि ब्राउन बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन तभी करवाएंगे जबकि उस को अतिरिक्त पोषक तत्व दिए जाते रहे हैं लेकिन कैंसर विशेषज्ञ कुछ भी दिए जाने के पक्ष में नहीं थे लेकिन उसके पिता के तर्कों के आगे उनकी एक न चली और उसका बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया उसके और उसको पोषक तत्व भी जारी रहे साथियों आपने देखा कि किस प्रकार उपरोक्त दोनों मामलों में एंटीऑक्सीडेंट्स ने रोगियों की मदद की किस प्रकार उन्हें कीमोथेरेपी और रेडियो थेरेपी को और प्रभावी बनाया इनको लेना ज्यादा महंगा भी नहीं है इन से कैंसर का खतरा भी कम होता है कुछ लोगों को इलाज के बाद दोबारा कैंसर हो जाता है इनको लेते रहने से उसकी भी संभावना बहुत कम हो जाती है कैंसर की दवाइयों की बहुत अधिक साइड इफेक्ट्स होते हैं जिनको जीवन भर नहीं लिया जा सकता लेकिन एंटीऑक्सीडेंट्स को पूरे जीवन भर लिया जा सकता है उन्होंने कहा है कि डॉक्टर स्कोर इन के प्रयोग के मामले में अधिक उदार होने की जरूरत है