लिगामेंट्स से संबंधित चोटों के बारे में जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि लिगामेंट्स क्या हैं और ये कैसे जोड़ों (ज्वाइंट्स) को सुचारु रूप से संचालित करते हैं? वस्तुत: लिगामेंट्स रस्सीनुमा तंतुओं के ऐसे समूह हैं, जो हड्डियों को आपस में जोड़कर उन्हें स्थायित्व प्रदान करते हैं। इस कारण जोड़ सुचारु रूप से कार्य करते हैं। घुटने का जोड़ घुटने के ऊपर फीमर और नीचे टिबिया नामक हड्डी से बनता है। बीच में टायर की तरह के दो मेनिस्कस (एक तरह का कुशन) होता है। फीमर व टिबिया को दो रस्सीनुमा लिगामेंट (एनटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट और पोस्टेरियर क्रूसिएट लिगामेंट) आपस में बांध कर रखते हैं और घुटनों को स्थायित्व प्रदान करते हैं। साइड में यानी कि घुटने के दोनों तरफ कोलेटेरल और मीडियल कोलेटेरल लिगामेंट और लेटेरल कोलेटरल लिगामेंट नामक रस्सीनुमा लिगामेंट्स होते हैं। इनका कार्य भी क्रूसिएट की तरह दोनों हड्डियों को बांध कर रखना है।
स्पोट्र्स इंजरी: मैदान में या घर से बाहर खेले जाने वाले खेलों (आउटडोर गेम्स या स्पोट्र्स) के दौरान जब घुटने पर घुमावदार ताकत या जोर (ट्विस्टिंग फोर्स) लगता है, तो घुटने के लिगामेंट्स में से एक या अधिक टूट जाते हैं। ऐसा फुटबॉल, क्रिकेट, दौड़ने-कूदने, बास्केटबॉल, बेसबॉल, आदि खेलों के दौरान अक्सर हो जाता है। इस स्थिति में ये लक्षण प्रकट होते हैं…
-घुटने में सूजन आ जाती है और दर्द होता है।
-घुटना अस्थिर हो जाता है।
-घुटने में शक्ति का अभाव महसूस होना और दर्द होना।
-कभी-कभी क्लिक जैसी की आवाज आती है।
-कभी घुटना एक पोजीशन में जाम हो जाता है।
-सीढि़यां चढ़ने-उतरने, पाल्थी मारने और उकड़ू बैठने में तकलीफ होती है। घुटना पूरा नहीं मुड़ता।
आर्थोस्कोपिक विधि से इलाज
आर्थोस्कोपिक विधि से अब स्पोट्र्स इंजरी का इलाज सफलतापूर्वक संभव है। चीरफाड़ किए बगैर आर्थोस्कोप से जो भी लिगामेंट टूट गया है, उसे रिपेयर कर दिया जाता है या फिर उसका दोबारा पुनर्निर्माण कर दिया जाता है। घुटने की लूज बॉडीज (चोट लगने के कारण लिगामेंट में टूट-फूट होने वाले भागों) को निकाल दिया जाता है। परिणामस्वरूप घुटने की अस्थिरता खत्म हो जाती है और दर्द दूर हो जाता है। ऐसे व्यक्ति की दिनचर्या बहाल हो जाती है। यह आधुनिक विधि दर्दरहित और सफल है।