वैसे तो पेट दर्द होने के तमाम कारण हैं और यह दर्द किसी भी मौसम में हो सकता है। इसके बावजूद बरसात के मौसम में पेट दर्द के मामले कुछ ज्यादा ही बढ़ जाते हैं। इसका एक महत्वपूर्ण कारण है-संक्रमण। इस मौसम में पानी दूषित होता है। इस कारण दूषित पानी के पीने से जीवाणु, प्रोटोजोआ, कृमि(वर्म्स) और फंगस के संक्रमण ज्यादा होते हैं।
मुख्य कारण
-स्टमक फ्लू या वाइरस द्वारा होने वाला पेट का संक्रमण।
-गैस्ट्रोइन्ट्राइटिस या फिर फूड प्वॉजनिंग।
-कृमि (वर्म) का संक्रमण।
-एसीडिटी।
-टायफॉइड।
-हेपेटाइटिस।
ध्यान रहे उपर्युक्त कारण सिर्फ उदाहरण के लिए हैं। इसमें पेट दर्द के समस्त कारण सम्मिलित नहींहैं। पेट दर्द पित्त की थैली की पथरी, किडनी स्टोन, रक्त धमनियों में रुकावट, ट्यूमर या अन्य कारणों से भी हो सकता है।
लक्षण
-पेट में मरोड़ के साथ दर्द होना।
-पेट का फूलना।
-दस्त या कब्ज की समस्या।
-उल्टी आना।
-मल में आंव या रक्त का आना।
जटिलताएं
अनडायग्नोस्ड(यानी पेट दर्द के वास्तविक कारण का पता न चलना) पेट दर्द हानिकारक हो सकता है। इसलिए जब भी तेज पेट दर्द हो, मल में खून आए, लगातार उल्टी हो, पेट छूने पर तेज दर्द हो, सांस में तकलीफ हो, पेशाब व मल आने में रुकावट हो, तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
उपचार
पेट दर्द का उपचार इसके कारणों और लक्षणों के आधार पर होता है। साधारण बदहजमी के लिए एंटाएसिड और ऐंठन को दूर करने की दवाएं दी जा सकती हैं। डॉक्टर की सलाह से कृमि या वर्म्स मारने वाली दवा लें। हल्का भोजन करें। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लें। जटिल परिस्थितियों में रोगी को अस्पताल ले जाकर उसका उपचार कराएं।
बचाव
-साफ पानी और खाने पर ध्यान दें।
-फलों का सेवन ज्यादा करें। तले-भुने व मसालेदार खाद्य पदार्थ कम लें।
-खाना कम मात्रा में नियमित अंतराल पर लें।
-खाने से पहले और शौच के बाद हाथ जरूर धोएं।
(डॉ.सुशीला कटारिया सीनियर फिजीशियन, मेदांता दि मेडिसिटी, गुड़गांव)