नकसीर –
ताजा आंवले के सिथरे हुए रस की 3-4 बूदे रोगी के नथुनों (नासाछिद्रों) में डालें तथा इसी प्रकार प्रति 15-20 मिनट बाद नस्य देकर ऊपर को चढ़ाने को कहें, नकशीर बन्द हो जायेगी | साथ ही आंवले को भी भूनकर छाछ (मठ्ठा) या काँजी में पीसकर मस्तिष्क पर लेप करा देने से शीघ्र लाभ होगा |
बहुमूत्र –
आंवले के पत्ते का रस २०० ग्राम में दारूहल्दी घिसकर और मिलाकर पिलाने से बहुमूत्र व्याधि से लाभ हो जाता हैं |
मूर्च्छा –
पित्त की विकृति कारण हुई मूर्च्छा में आंवले के रस में आधी मात्रा गाय का घी मिलाकर, थोड़ा- थोड़ा दिन में कई बार देकर ऊपर से गाय का दूध पिला देना चाहिये | कुछ दिनों तक इसके इस्तेमाल से मूर्छा रोग हमेशा के लिए खत्म हो जाता है |