प्राकर्तिक जीवन शैली

प्राकर्तिक जीवन

हम सब जानते है कि लकड़ी की चीज़ की मरम्मत लकड़ी से होती है, कपडे की चीज़ की मरम्मत कपडे से होती है, सोने की चीज़ की मरम्मत सोने से होती है| इसी तरह मानव देह  की मरम्मत उन्ही 5 तत्वों से होगी जिनसे यह बनी हैं | इसमें दवाइयों का कोई स्थान ही नहीं है |

मानव शरीर 5 तत्वों से बनी है आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी | हम ढूंढते है कि iron, calcium, विटामिन कहाँ से मिलेंगा पर आकाश तत्व कहाँ से मिलगा ? जरा जानिये |

1. आकाश तत्व ; पञ्च तत्वों में सबसे पहले आकाश तत्व आता है अर्थात खाली जगह | आकाश तत्व उपवास से मिलता है | हमारे सभी ग्रंथो में (हिन्दू, जैन, इस्लाम) में उपवास की महिमा गाई गयी है| उपवास की जरूरत केवल माताओ,  बहनों को ही नहीं पुरुषो को भी जरुरी है |
कुछ भाई उपवास के कतराते हैं पर आप समझने की कोशिश कीजिये कि 1-2 दिन के उपवास से किसी को कोई तकलीफ नहीं होती | 1-2 दिन के उपवास से कोई मरता नहीं |
अक्सर लोगों को hospital में emergency ward में ले जाते है |  test बाद में होते हैं , रोग बादमें पता चलता हैं, पहले ग्लूकोस चढा देते है|  कहते है मरीज़ को खाने की कोई जरुरत नहीं, यह जो intra venus glucose दिया है, उसी में सब कुछ हैं |

जब emergency ward में  लोग  ग्लूकोस पर 10-12 दिन रह सकते है तो हमें  नारियल पानी , फलों पर 1 दिन रहने में क्या दिक्कत हैं ? यह जो हरा नारियल पानी (डाब) है, सब्जियों का रस , सूप, पते का रस, फलो के रस है ना , क्या यह ग्लूकोस नहीं हैं? यह जो नारियल पानी है  इसमे शुद्ध जल है chemical glucose नहीं है, नमक है, मीठास है और सब कुछ है|
इसमें कोई pesticides-chemical नहीं घुस सकते | हमारे जन्म पर नारियाल, मृत्युं पर नारियल, शादी पर नारियल | पहले के दिनों में मेहमान को भी नारियल दे कर के विदा करते थे | क्यूँ? बरसो पहले जब ऋषिमुनियों ने इसकी खोज करी थी, तब TRANSPORT के साधन नहीं थे | कन्याकुमारी से लाकर वैष्णव देवी में चढाने के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं मिला| तो उन्होंने इसे हर function/कार्यकर्म/कर्मकांड में सम्मिलित किया | आज यह भारत के गाँव गाँव में मिलता हैं पर हमने इसे केवल पूजा तक सिमित कर दिया है |

बहुत सी माताएं - बहिने गलत तरीके से उपवास कर रही है| सुबह 5 बजे उठकर खाना खाती है और कहती है कि आज दिन में उपवास है | सुबह 5 बजे किसी को भूख नहीं होती | इस तरीके से उपवास करने से कोई लाभ नहीं है |
कुछ माताएं उपवास वाले दिन अनाज नहीं लेती, थोडा खोया खा लेती है, कुट्टू के आटे के पकोड़े खा लेती है, मिठाई खा लेती है, दूध की बनी हुई चीज़ खा लेती है, इनका कोई फायदा नहीं होता| यह चीजे अनाज से भी भरी है | आगे चल के कुछ और तरीके बता दूंगा कि उपवास करने में कोई तकलीफ नहीं होगी |

२. वायु तत्त्व : हम घरों की खिड़कियाँ बंद रखते है क्यूंकि गर्मियो में गर्म हवा आती है, सर्दियों में सर्द हवा | हम PARKS में नहीं जाते, खुली हवा में नहीं जाते, प्राणायाम करते नहीं करते| भोजन 2 दिन नहीं मिले चलेगा, पर वायु के बिना हम 2 मिनट भी नहीं रह सकते |
हम झुक कर के बैठ जाते है या फिर लालाजी की तरह पीछे हाथ  टेक्कर बैठ जाते है -जिससे हमारे फेफड़ों को आधी सांस मिलती है| जब भी बैठे सीधे बैठे | फोजियों की तरह अक्कड के भी ना बैठे, ज्यादा देर नहीं बैठ पाएंगे | बैठते समय मात्र इतना ध्यान रहे की backbone सीधी हो |
हम SOFT BED पर लेटते हैं सिर हल्का होता है टांगे हलकी होती है बीच का हिस्सा भारी होता है, रात भर हम झूले में पड़े रहते है हमारे फेफड़ों को आधी सांस मिलती है |

३. अग्नि तत्व : सूर्य भगवान से हमें अग्नि तत्व प्राप्त होता है | सूर्य की धूप से हमें विटामिन D मिलता है| विटामिन D के बिना हमारा शारीर खाने से CALCIUM, चिकनाई (FAT वसा)  उपयौग नहीं कर पाता |

4. जल तत्त्व  : पानी के बारे में हम भ्रमित है | हम पुरे दिन में गिन गिन के 20 glass या 3-4 लीटर पानी पिते है | सर्दियों में प्यास कम लगती हैं, गर्मियों में प्यास ज्यादा लगती है | सर्दियों में भी हम उतना ही पानी पीते रहेंगे तो kidney का काम तो बढ़ जायेगा |
सुबह उठकर हम 1 लीटर- 1 jug  पानी पी जाते है | सुबह उठ कर किसी को भी 1 jug पानी की प्यास नहीं होती | अन्दर से जब प्यास लगेगी, तभी पीना है| बिना प्यास के पानी पीना उतना ही खतरनाक है जितना बिना भूख के भोजन करना |
बिना प्यास के पानी पीने से हमारे पाचन तंत्र का काम बढ जाता है | बाहर से कोई आपको सलाह नहीं दे सकता कि आपको कब खाना है, कब पानी पीना हैं |

जब हम भोजन करते है तो भोजन को चबा चबा के करते है, तब हमारे मुंह में कुछ saliava (लार) होता है, जो भोजन के साथ मिलता है,  हमारे आमाशय में कुछ पाचक रस (तेज़ाब , hydrochloric acid, enzymes) निकलते है, यह भोजन को पचाने में मदद करते हैं|
हम भोजन के साथ कुछ JUICE, COLA, COLD DRINK, चाय, coffee पेय पदार्थ पिते है | जब हम भोजन के साथ कुछ liquid तरल पदार्थ लेते है तो हमारे पाचक रस, तेज़ाब dilute (कमज़ोर/पतले) हो जाते है, वे भोजन पर कोई प्रभाव नहीं डाल पाते, भोजन नहीं पचता| भोजन के साथ कोई पेय पदार्थ ना ले |
भोजन करते समय प्यास लगने पर एक गूंठ पानी ले ले | आपकी तृप्ति हो जायेगी | यदि भोजन में मिर्च मसालों की मात्र ना के बराबर हो तो आपको भोजन के साथ पानी की प्यास नहीं लगेगी | भोजन में जब मिर्च मसलों की मात्र ज्यादा होती है, तो हम खाने को खाते नहीं, चबाते नहीं, पानी के सहारे निगलते हैं |
कभी कम से कम मसालों के साथ खाना बनायेंगे तो सब्जियों (लौकी, तुरई ) का स्वाद मालूम पड़ेगा |

जिन restaurant में सब्जियों की बहुत बड़ी MENU होता है, वे पहले से ही सब्जियां अलग अलग तैयार करके रख लेते है पनीर अलग, पलक अलग, मटर अलग| और मसाला अलग से बना कर रख दिया जाता है| आप जो भी order देते हो उस हिसाब से 2 -3 सब्जियों को मिलाकर सब्जी बना दी जाती है | सभी सब्जयों में एक ही मसाला  ढेर सारा डाल दिया जाता हैं |
restaurant वालो को मालूम है कि यह हमारे पास कोई गाजर गिये का स्वाद चखने नहीं आया, यह तो मसालों का सवाल चखने आया है | वे हमें सडी हुइ सब्जियां मसाले के बहाने परोस देते हैं | अर्थात हम restaurant में जाकर खाने नहीं खाते, मसाले खाते है |

यदि खाने में मिर्च मसालों की मात्र कम करदी जाए तो आपको पानी की जरुरत ही नहीं पड़ेगी |

5. पृथ्वी तत्व :  पृथ्वी तत्व का मतलब - पृथ्वी से पैदा होने वाले अनाज, दाले, सब्जियां| हम इसी के चक्कर में पड़े रहते हैं |   खालो , खालो के चक्कर में  हमारे शरीर में पृत्वी तत्व बढ़ जाता है, बाकि के चार तत्व कम पड जाते है | पञ्च तत्वों का balance बिगड़ जाता है|

व्यक्ति जब हमारे पास आता है तो पृथ्वी तत्व बढा कर आता है | हम इसका भोजन सुधार करवाते है, पञ्च तत्व कैसे प्राप्त हो , इसकी विधियाँ बताते हैं और पञ्च तत्वों का balance बन जाता है |  पञ्च तत्वों का balance बिगड़ना रोग और पञ्च तत्वों का balance बनाना ।

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