नसें ही दर्द का कारण बनती हैं।

नसें ही दर्द का कारण बनती हैं।

शरीर में कहीं भी, किसी भी माश्पेसी में दर्द (Muscular pain) हो तो उसका इलाज किसी भी थेरेपी में पेन किलर के अलावा और कुछ नही है! यह आप सब अच्छी तरह जानते हैं और आप यह भी जानते हैं कि पेन किलर कोई इलाज नहीं है! यह एक नशे की तरह है जितनी देर इसका असर रहता है उतनी देर ब्रेन को दर्द का एहसास नहीं होता! और आपको पेन किलर के दुष्प्रभाव (साइड एफेक्ट) के बारे मे भी अच्छी तरहं पता है! जिसे आप चाह कर भी नकार नहीं सकते हैं! इन सभी की मुख्य वजेह होती है गलत तरीके से बैठना – उठना, सोफे या बेड पर अर्ध लेटी अवस्था में ज्यादा देर तक रहना, उलटे सोना, दो – दो सिरहाने रख कर सोना, बेड पर बैठ कर ज्यादा देर तक लैपटॉप या मोबाइल का इस्तेमाल करना या ज्यादा सफर करना या जायदा टाइम तक खड़े रहना या जायदा देर तक एक ही अवस्था में बैठे रहना आदि!

नस में दर्द या नस का क्षतिग्रस्त हो जाना क्रोनिक या लंबे समय तक होने वाले दर्द का एक सामान्य कारण है। हमारी नसें या धमनियाँ दर्द के संकेत को दिमाग तक पहुंचाती हैं, लेकिन कई बार ये नसें ही दर्द का कारण बनती हैं। इसके मेडिकल कारण हो सकते हैं जैसे कि चोट, दबाव या नसों में जकड़न। 
ये नसें पूरी तरह या आंशिक रूप से शरीर की कई क्रियाओं को नियंत्रित करती हैं, जैसे कि हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर लेवल, पाचन और तापमान नियंत्रण आदि। ये नसें मांसपेशियों के माध्यम से आपके दिमाग और रीड की हड्डी तक सूचना भेजते हुये आपके मूवमेंट और गतिविधियों पर नियंत्रण रखती हैं। 
ये नसें त्वचा व मांसपेशियों के माध्यम से दिमाग और रीड की हड्डी से वापस सूचना प्राप्त भी करती हैं। चूंकि नसें आपके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं इसलिए नसों में चोट या दर्द आपकी ज़िंदगी को पूरी तरह प्रभावित करता है।

इससे आपके दिमाग और रीड की हड्डी को भी नुकसान हो सकता है। कुछ मामलों में, जिन लोगों में की एक नस में क्षति होती है तो उनमें दो, तीन नसों में नुकसान होने के लक्षण भी दिखाई देते हैं। 
नसें कई तरह से क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। पेरिफेरल नर्व उम्र के साथ क्षतिग्रस्त होती है। पेरिफेरल नर्व जिनकी क्षतिग्रस्त होती है उनमें से हर तीसरे व्यक्ति में इसका कारण डायबिटीज़ होता है। अन्य में इसके कारण का पता नहीं चल पाता है। बहुत सी ऑटो-इम्यून डीजीज की कारण नसों में दर्द या नुकसान हो सकता है। 
कैंसर कई तरह से नसों में दर्द या नुकसान पहुंचा सकता है। कई मामलों में, विशेष प्रकार के कैंसर में पोषण की कमी से नसों को नुकसान पहुंचता है। कई लोगों में कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी भी नसों में दर्द पैदा करती है। 
चोट के कारण भी नसों में दर्द, क्षति और गर्दन में सूई जैसी चुभन होती है। कई पदार्थ शरीर अपने आप एडजस्ट करता है और इनसे नसों में दर्द या क्षति नहीं हो सकती है।

डायबिटीज़ वाले लोगों में यदि नसों में दर्द होता है, तो यह एक बीमारी के रूप में विकसित होता चला जाता है। इसलिए यदि आपके डायबिटीज़ है और नसों में दर्द भी रहता है तो आपको जितना जल्दी हो सके अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

Source: hindi.boldsky.com

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