सामान्यतः जिसे हम खून की कमी होना कहते हैं।वस्तुतः वह खून में हीमोग्लोबिन नमक तत्व की कमी होती है। मेडिकल भाषा में इसे एनेमिया कहते हैं। हीमोग्लोबिन के कारण ही खून का रंग लाल होता है। लाल रक्त कणिकाओं का मुख्य भाग हीमोग्लोबिन ही होता है। खून की कमी का पता हमें तब ही चल पाता है जब किसी वजह से या डॉ के कहने पर खून की जाँच करवाते हैं।कभी कभी जब हमारे किसी प्रियजन को खून की आवश्यकता होती है और हम रक्त दान करने ब्लड बैंक जाते हैं, रक्त दान से पहले खून की जांच होती है जिसमे लोगों को अक्सर पता चलता है कि खून में हीमोग्लोबिन कम है।इस कारण आप रक्त दान नही कर सकते हैं। इस लेख में हम आपको बताएँगे की किन लक्षणों को महसूस करने पर हमें खून में हीमोग्लोबिन की कमी का पता चल सकता है।
इसके लिए पहले हमें यह समझना होगा की हीमोग्लोबिन हमारे शरीर में काम कैसे करता है। हीमोग्लोबिन फेफड़ो से पूरे शरीर के प्रत्येक अंग में ऑक्सीजन ले जाने व् वहां से कार्बन डाइऑक्साइड को वापस फेफड़ो में लाने का काम करता है।
यदि खून की कमी होगी तो शरीर के अंगों में ऑक्सीजन की कमी होगी जिससे उन्हें नुकसान होने लगेगा। दिमाग में ऑक्सीजन का प्रवाह काम होने से चक्कर आने लगते हैं। शरीर में रक्त की कमी होने पर ऑक्सीज़न की आपूर्ति को सुचारू रूप से चलाने के लिए हृदय को अधिक मेहनत करनी होती है, अतः हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। साँस फूलने लगती है। थोड़ा काम करने पर ही थकान होने लागती है।बाल अधिक मात्रा में झड़ना भी रक्त की कमी से शुरू हो जाते हैं। अक्सर सर में दर्द भी रहने लगता है। त्वचा व् नाखून पीले पड़ने लगते है। नाखूनों में चमक कम हो जाती है। चिड़चिड़ा पन होने लगता है।कुछ लोगों में अखाद्य वस्तुओं जैसे मिटटी, ईंट, कोयला आदि को खाने की इक्षा होने लगती है। जो लोग बैठे बैठे पैर हिलाते रहते हैं यह भी रक्त की कमी की वजह से ही हो सकता है। स्त्रियों में खून की कमी की संभावना अधिक रहती है। एक सर्वे के अनुसार 80% महिलाओं में खून की कमी पायी गई है। कई मामलों में स्त्रियों में बाँझपन, चिड़चिड़ा पन का कारण भी यही होता है। गर्भावस्था में यह कमी शिशु के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। बच्चे में मानसिक विक्लांगता भी हो सकती है।
आईये जानते हैं खून के कमी के क्या कारण हो सकते हैं? आंतरिक अंगों में अल्सर, कैंसर इत्यादि के कारण व् चोट इत्यादि के कारण बाहरी रक्त स्राव से भी खून की कमी हो जाती है। परंतु सामान्यतः खून की कमी भोजन में लौह तत्व (आयरन) की कमी से होती है। विटामिन बी12 व् फोलिक एसिड की कमी से भी खून की कमी हो जाती है। क्योकि रक्त के निर्माण के लिए आयरन के साथ साथ विटामिन बी12 और फोलेट की भी आवश्कता होती है। इसके अतिरिक्त विटामिन C भी जरुरी होता है, यद्यपि यह रक्त के निर्माण से सीधे तौर पर नही जुड़ा होता है किन्तु आयरन के शरीर में अवशोषण के लिए यह आवश्यक होता है।
आईये जानते हैं किस तरह का भोजन हमें आयरन व् विटामिनों की कमी से होने वाले एनेमिया(खून की कमी) से बचा सकता है।
हरे पत्तेदार शब्जियों जैसे पालक, बथुआ, चौलाई, मूली के पत्ते इत्यादि सागों में आयरन होता है। इनका प्रतिदिन लगातार सेवन करते रहने से कमी नही होती है। यदि रक्त की कमी हो चुकी है उस दशा में हमें सप्प्लिमेंट्स का सेवन कर पूर्ती करनी चाहिये। इसके लिए न्यूट्री वर्ल्ड का आयरन फोलिक प्लस एक आदर्श सप्पलीमेंट है। इसमें आयरन के साथ साथ विटामिन B12 , फोलेट, विटामिन C व् जिंक है जो की शरीर में रक्त के निर्माण के लिए जरुरी तत्व हैं।
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