आंवले में एंटी ओक्सिडेंट होते हैं जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढाता है और ये मौसम में होने वाले बदलाव के कारन होने वाले वाइरल संक्रमण से भी बचाता है.
आंवला के बारे में कितना भी कहा जाये बहुत कम ही हैं. १०० रोगों की एक दवा हैं, आंवला को दो तरीके से खाते हैं ताज़ा और सुखा आवला चूर्ण ,दोनों ही रूप में आंवला उतना ही फायदेमंद हैं. आंवला बसंत के मौसम में फलते हैं. आंवला का उपयोग सदियों से चला आ रहा हैं. सदियों पहले चरक ऋषि ने इसकी महत्ता बताई थी, आंवले के उपयोग से हम हमेशा जवान और सुंदर व स्वस्थ शरीर वाले होते हैं. आंवला सभी रोगों का अचूक औषधि हैं. आयुर्वेद में आंवला के उपयोग की महत्ता हैं. आंवला का रसायन भी बाज़ार में मिलता हैं. बाज़ार में आंवला का पाउडर ,चूर्ण ,सुखाया हुआ, आंवला का रस सभी प्रकार का उपलब्ध हैं. आवला का मुरब्बा स्वस्थ की दृष्टी से उत्तम हैं, इसे मौसम के चले जाने के बाद भी उपयोग में ला सकते हैं.पाउडर का उपयोग भी लाभप्रद होता हैं. आवला का अचार भी बहुत फायदे करता हैं, आंवला किसी भी रूप में उतना ही फायदा करता हैं जितना की ताज़ा .
आँवला दाह, खाँसी, श्वास रोग, कब्ज, पाण्डु, रक्तपित्त, अरुचि, त्रिदोष, दमा, क्षय, छाती के रोग, हृदय रोग, मूत्र विकार आदि अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति रखता है। वीर्य को पुष्ट करके पौरुष बढ़ाता है, चर्बी घटाकर मोटापा दूर करता है। सिर के केशों को काले, लम्बे व घने रखता है। दाँत-मसूड़ों की खराबी दूर होना, कब्ज, रक्त विकार, चर्म रोग, पाचन शक्ति में खराबी, नेत्र ज्योति बढ़ना, बाल मजबूत होना, सिर दर्द दूर होना, चक्कर, नकसीर, रक्ताल्पता, बल-वीर्य में कमी, बेवक्त बुढ़ापे के लक्षण प्रकट होना, यकृत की कमजोरी व खराबी, स्वप्नदोष, धातु विकार, हृदय विकार, फेफड़ों की खराबी, श्वास रोग, क्षय, दौर्बल्य, पेट कृमि, उदर विकार, मूत्र विकार आदि अनेक व्याधियों के घटाटोप को दूर करने के लिए आँवला काफी उपयोगी है।