मूड में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। समय के साथ मूड ठीक भी हो जाता है, किंतु कुछ लोगों पर मानसिक दबाव इतने अधिक होते हैं कि वे सुगमता से अपने खराब मूड से बाहर नहीं निकल पाते। इसके लिए कई बार उन्हें ऐसी औषधियां लेनी पड़ती हैं, जो कुछ देर के लिए तो उन्हें इस हताश मानसिकता से बाहर निकाल देती हैं, लेकिन इन औषधियों के दुष्परिणाम भी कम नहीं होते। इसलिए बेहतर यही है कि अपनी मानसिक दशा को इतना सबल बनाएं कि नकारात्मक दृष्टिकोण आपको गिरफ्तार न कर सकें और अगर कर ही लें तो आपको उनसे बाहर निकलने के उपाय भी पता होने चाहिए। यहां हम आपको दे रहें ऐसे ही कुछ टिप्स -
- जॉगिंग करें, टहलिए या कोई व्यायाम। व्यायाम से जो पसीना निकलता है, वह किसी भी औषधि से अधिक प्रभावकारी होता है। इससे दिमाग से ऐसे रसायन निकलते हैं जो मन-मस्तिष्क को निरोगी रखते हैं। योग से भी काया और मस्तिष्क निरोगी रहते हैं।
- यदि मन भारी लगे या थकान महसूस हो तो उसी जगह पर खड़े होकर एक मिनट रस्सी कूदें। इससे पूरे शरीर में ऑक्सीजन, खून संचार और हृदय गति में इजाफा होता है तथा इसका प्रभाव चंद घंटों तक रहता है। इसे नियमित रूप से करने के भी अपने लाभ हैं।
- कोई गमकता परफ्यूम स्प्रे प्रयोग करें, जिसकी खूशबू मिलते ही आपको तरो-ताजगी का एहसास होगा तथा पहले से अच्छा महसूस होगा।
- थोड़ी देर ताजी हवा ग्रहण करें। ऊर्जा के इस श्रेष्ठ स्रोत की प्राप्ति हेतु मंद हवा में एक मिनट भी खड़े रहना पर्याप्त है।
- जब भी तबियत में आलस्य छाए तो ताजी हवा में खड़े हो गहरी सांसें खींचें। एक मिनट ऐसा करना दो घंटे चैन की नींद सोने के समतुल्य है।
- चेहरे पर ठंडे जल की छींटें मारने या झटपट ठंडा शॉवर लेने से भी मूड बनता ही है।
- फिल्म देखें। विशेषकर ऐसी फिल्म देखें। जो बहुत गंभीर न हो। इससे भी मन हल्का होता है।
- यदि आप प्रसन्न नहीं हैं, तबी भी यह दिखाएं कि आप प्रसन्न हैं।
- नकारात्मक दृष्टिकोण को समाप्त कर मन में सकारात्मक दृष्टिकोण को पैदा करें।
- वे सब छोटे-छोटे काम करें, जो आपको पसंद हैं।
- भरपूर नींद लें।
- आध्यात्मिकता की तरफ उन्मुख हों।
- समय के पाबंद हों।
- नजदीकी रिश्तों को समय दें।
- हंसने का कोई मौका न छोड़ें।
(साभार - साधना पथ)