र्मी के मौसम मे बुुजुर्ग और अस्वस्थ व्यक्ति और खासतौर से हृदय रोग से पीडि़त व्यक्ति को खास ध्यान देने की जरूरत होती है। वे जिन्हें पहले से ही हृदय की समस्या है उन्हें ब्लड प्रेशर और हृदय गति को नियंत्रित रखने के लिए कुछ प्रकार की दवाओं का प्रयोग करना चाहिए। अत्यधिक गर्मी और उमस शरीर के संतुलन को बिगाडऩे का काम करती है।
खासतौर पर लो ब्लड प्रेशर और हार्ट फेलियर वालों के लिए पानी की कमी और पसीने के कारण इलेक्ट्रोलेट असंतुलन के कारण ब्लड प्रेशर को मेंटेन रखना कठिन होता है साथ ही जो डाइयुरेटिक्स (मूत्र बनाने वाली दवा) लेते हैं उन्हें डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) और सॉल्ट डिप्लेशन (नमक की कमी) हो जाता है। हमारा शरीर 98.40 फा. (370से) तक के सामान्य बॉडी टेम्प्रेचर कोबनाए रखने के लिये सेट होता है जिससे यह अत्यधिक गर्मी में हार्ड वर्क (कूलिंग इफेक्ट) कर सकता है। जैसा कि हम सभी गर्मियों में सन स्ट्रोक या हीट स्ट्रोक के प्रभाव के बारे में जानते हैं, लेकिन कुछ मामलों में इसके सामान्य लक्षणों में गर्मी से थकान, (हीट एग्जर्शन), सिर दर्द, बेचैनी, चिढ़चिड़ापन और प्यास का बढऩा नजर आता है।
दिल शरीर का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है जो असंतुलन को ठीक करने के लिए कड़ी मेहनत करता है। जैसे-जैसे टेम्प्रेचर बढ़ता है शरीर वासोडिलेटेशन (त्वचा के ब्लड वेसेल्स को ठंडक पहुंचाने वाला) के द्वारा गर्मी को नष्ट करता है जिसकी वजह से पसीना त्वचा के तापमान को ठंडा करता है लेकिन इस वासोडिलेटेशन का असर ब्लड प्रेशर पर पड़ता है जिससे ब्लड प्रेशर को बनाए रखने के लिए हृदय के पम्प करने की गति (हार्ट रेट) बढ़ जाती है। ऐसे रोगी जो हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हैं उन्हें ब्लड प्रेशर कम करने और हार्ट रेट को नियंत्रित रखने की दवाएं दी जाती हैं। इसलिए इस तरह के परिवर्तन कभी-कभी मुश्किल से दिखते हैं।
इसके लिए सामान्य तौर पर बीटा ब्लॉकस, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स, एसीई इनहैबिटर्स आदि दवाएं हैं।
समस्त गंभीर बीमारियों से संबंधित हार्ट स्ट्रोक तब होता है जब टेम्प्रेचर 1050 फा. से ऊपर चला जाता है यह प्राणघातक भी होता है। नीचे दी गई परिस्थिति में फिजिशियन को दिखाना जरूरी है--शरीर का तापमान अत्यधिक (1030फा.) बढ़ जाना, गर्म और रुखी त्वचा (बिना पसीने के),धमक के साथ सिरदर्द,चक्कर आना व भ्रम/बेचैनी।
इस तरह की परिस्थिति में तरल चीजें पर्याप्त नहीं होती, सबसे पहले बॉडी टेम्प्रेचर को ठंडा इलेक्ट्रोलेट के असंतुलन को ठीक करना जरूरी होता है। इससे भी ज्यादा प्रत्येक हृदय रोगी को बदलते मौसम के दौरान अपने दवा को रिएडजेस्ट कराने के लिए नियमित रूप से डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
गर्मियों में हृदय को स्वस्थ रखने के लिए खास उपाय-
दोपहर में 2 से 3 बजे के बीच घर से बाहर निकलने से बचें, क्योंकि इस दौरान गर्मी चरम पर होती है।
बुजुर्ग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों या किसी जानकार के साथ अपना नियमित व्यायाम जरूर करें, जिससे किसी इमरर्जेंसी में वे आपकी सहायता कर सकें।
व्यायाम के दौरान कई बार ब्रेक लें या फिर किसी शेड या ठंडी जगह पर सुस्ता लें।
व्यायाम के दौरान अच्छी तरह के हवादार जूते और मोजे पहनें जिससे पसीना कम निकलेगा।
अगर आप हेल्दी भोजन करेंगे तो गर्मी का सामना भी आसानी से कर सकेंगे और आपका हृदय भी स्वस्थ रहेगा। बॉडी टेम्प्रेचर, भूख और प्यास को संतुलित रखने में मस्तिष्क का एक भाग हाइपोथैल्मस मदद करता है। इसलिए हीट स्ट्रोक से बचे रहने के लिए सबसे जरूरी है हाइपोथैल्मस जो एंड्रोसाइन का हिस्सा होता है उसकी कार्य प्रणाली ठीक प्रकार से होती रहे। पत्तेदार हरी सब्जियां, ऑलिव आईल , बादाम और काजू आदि फैटी एसिड्स और मिनरल से भरपूर खाद्य पदार्थ लें, ये खतरनाक गर्मी से बचने में सहायता करेंगे।
तरबूज, नाशपाती और पाईनेपल पानी से भरपूर होते हैं। इन्हें खाने से खेलते वक्त, व्यायाम करते वक्त या गर्मियों के प्रतिदिन के काम करते वक्त डिहाइड्रेशन से बच सकते हैं।
ब्रॉथ, सूप और नट मिल्क के साथ अनाज आदि लेने से शरीर की नमी बनी रहती है। इस तरह के खाद्य पदार्थ आपके जलीयांश के स्तर को बढ़ाते हैं जिससे आपके शरीर को पोषण मिलता है और हाइड्रेट भी रहता है।
कॉफी से बचने का प्रयास करें क्योंकि यह मूत्र वर्धक का काम करता है, जिससे आपको बार-बार पेशाब की आवश्यकता हो सकती है जिससे शरीर का मूल्यवान पानी निकल जाता है।
अगर आप इन सावधानियों का अनुसरण करें तो हीट स्ट्रोक से बच सकते हैं।