
पेनकिलर: सही उपयोग और सावधानियां
जब भी शरीर में तेज दर्द होता है, तो अक्सर लोग पेनकिलर (Painkiller) का सहारा लेते हैं। हालांकि, इसका उपयोग सावधानीपूर्वक और सही जानकारी के साथ करना बेहद जरूरी है, खासकर तब जब डेंगू या अन्य गंभीर बीमारियों का संदेह हो।
महत्वपूर्ण: डेंगू की आशंका पूरी तरह खत्म होने के बाद ही पेनकिलर का सेवन करें। हार्ट, डायबिटीज और किडनी के मरीजों को खासतौर पर पेनकिलर से बचना चाहिए।
डेंगू और पेनकिलर: क्या सावधानी बरतें?
डेंगू एक वायरल इन्फेक्शन है जिसमें शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से घट सकती है। कई पेनकिलर दवाएं (जैसे, ब्रूफेन, एस्पिरिन, डायक्लोफेनेक) प्लेटलेट्स को और कम कर सकती हैं, जिससे ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, डेंगू में सिर्फ पैरासिटामोल (Paracetamol) लेने की सलाह दी जाती है।
✅ सुरक्षित विकल्प:
पैरासिटामोल (Paracetamol) – 500-650 Mg
दिन में 2-3 बार ले सकते हैं।
मार्केट में क्रोसिन (Crocin), कालपोल (Calpol) आदि ब्रांड नेम से उपलब्ध।
🚸 बच्चों के लिए:
प्रति 4 घंटे में 1 मिली प्रति किलो वजन के हिसाब से लिक्विड फॉर्म में दें।
पैरासिटामोल न सिर्फ बुखार कम करता है बल्कि दर्द निवारक भी है।
बुखार न हो, लेकिन दर्द हो तो क्या लें?
अगर किसी को बुखार नहीं है, लेकिन तेज दर्द हो रहा है, तो वे ट्रामाडोल (Tramadol) ले सकते हैं।
✅ सुरक्षित विकल्प:
ट्रामाडोल (Tramadol) – 50-100 Mg
दिन में 2-3 बार तक ले सकते हैं।
मार्केट में अल्ट्रासेट (Ultracet), एक्युपेन (Acupain), डामोडोल (Domadol) आदि ब्रांड नाम से उपलब्ध।
ध्यान दें: ट्रामाडोल एक सुरक्षित पेनकिलर है और इसे जरूरत पड़ने तक लिया जा सकता है, लेकिन डॉक्टर से परामर्श लेना हमेशा अच्छा रहता है।
किन पेनकिलर से बचना चाहिए?
कुछ पेनकिलर डेंगू, हार्ट डिजीज, डायबिटीज और किडनी रोगियों के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इनसे बचना चाहिए:
❌ एस्पिरिन (Aspirin)
❌ आईबुप्रोफेन (Ibuprofen)
❌ डायक्लोफेनेक (Diclofenac)
❌ कॉम्बिफ्लेम (Combiflam)
👉 ये दवाएं ब्लड थिनर का काम करती हैं और प्लेटलेट्स को कम कर सकती हैं, जिससे अंदरूनी ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है।
पेनकिलर लेते समय ध्यान देने योग्य बातें
✔ कोई भी पेनकिलर खाली पेट न लें।
✔ डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवा शुरू करें।
✔ लंबे समय तक पेनकिलर का सेवन न करें, वरना किडनी और लिवर को नुकसान हो सकता है।
✔ अगर दर्द ज्यादा बढ़ जाए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
पेनकिलर कब और कितनी मात्रा में लें?
दवा का नाम | डोज़ | दिन में कितनी बार लें | कब लें |
---|---|---|---|
Paracetamol (Crocin, Calpol) | 500-650 Mg | 2-3 बार | बुखार और दर्द में |
Tramadol (Ultracet, Acupain, Domadol) | 50-100 Mg | 2-3 बार | सिर्फ दर्द में |
Aspirin, Ibuprofen, Diclofenac | - | - | न लें (डेंगू में खतरनाक) |
पेनकिलर से जुड़े कुछ मिथक और सच्चाई
❌ मिथक: पेनकिलर लेने से तुरंत आराम मिल जाता है।
✔ सच्चाई: सभी पेनकिलर तुरंत असर नहीं करतीं, कुछ को असर करने में 30-45 मिनट लग सकते हैं।
❌ मिथक: पेनकिलर ज्यादा मात्रा में लेने से जल्दी आराम मिलेगा।
✔ सच्चाई: ज्यादा मात्रा में लेने से लिवर और किडनी डैमेज हो सकते हैं।
❌ मिथक: कोई भी दर्द में कोई भी पेनकिलर ले सकता है।
✔ सच्चाई: हर दर्द के लिए अलग-अलग पेनकिलर होती हैं, डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
निष्कर्ष
पेनकिलर सिर्फ जरूरत पड़ने पर और डॉक्टर की सलाह से ही लेनी चाहिए। डेंगू, हार्ट, डायबिटीज और किडनी के मरीजों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
यदि बुखार और दर्द हो, तो Paracetamol सबसे सुरक्षित विकल्प है। और यदि केवल दर्द हो, तो Tramadol एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
✅ हमेशा सुरक्षित पेनकिलर चुनें और हेल्दी रहें!
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