हृदय के वाल्व की खराबी नहींजरूरत घबराने की

हृदय के वाल्व में खराबी आना या उसका विकारग्रस्त होना भारत में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है। अमेरिका समेत विकसित देशों में यह समस्या काफी हद तक कम हो चुकी है, लेकिन भारत में यह कायम है, जिसका एक प्रमुख कारण देश में र्यूमैटिक हार्ट डिजीज(आरएचडी) का जारी रहना है।

निम्न आय वर्ग से संबंधित बच्चों और किशोरों में र्यूमैटिक हार्ट डिजीज के मामले ज्यादा होते हैं। इसके अतिरिक्त अत्यधिक जनसंख्या और भीड़भाड़ वाले इलाकों में रहने वाले लोग भी इस बीमारी की गिरफ्त में कहींज्यादा आते हैं। जाहिर है कि भारत जैसे अधिक आबादी और अनियमित विकास वाले देश में यह एक बड़ी समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रही है।

लक्षण

ह्रदय से जुड़ी कई बीमारियों की तरह ही इस रोग की शुरुआत में ही पहचान करने का मतलब है रोगी को समय रहते सही इलाज मिल जाना। इससे न केवल कई जटिलताओं से बचा जा सकता है बल्कि रोग पर काबू पाने में भी आसानी हो सकती है। आरएचडी की शुरुआत में मरीज का गला खराब रहता है। उसे बुखार आता है। समुचित इलाज न कराने और एंटीबॉयटिक दवाएं न लेने पर कालांतर में मरीज र्यूमैटिक हार्ट डिजीज से ग्रस्त हो जाता है।

कारण

र्यूमैटिक हार्ट डिजीज, स्ट्रेप्टोकोकल नामक जीवाणु (बैक्टीरिया) के संक्रमण से उत्पन्न होता है। ये जीवाणु हृदय के वाल्व में सिकुड़न पैदा कर देते हैं। परिणामस्वरूप, हृदय के वाल्व थिक हो जाते हैं और सिकुड़ जाते हैं। इस सिकुड़न से हृदय का वाल्व या तो तंग हो जाता है या फिर वाल्व में लीकेज हो जाता है या फिर ये दोनों ही स्थितियां हो सकती हैं।

जटिलताए

अगर खराब वाल्व का समुचित इलाज नहीं हुआ तो..

-हृदय की धड़कन (हार्ट रिद्म) अनियमित हो जाती है।

-अनियमित धड़कन से हदय में रक्त के थक्के(ब्लड क्लॉट्स)पैदा हो जाते हैं।

-अगर वाल्व का इलाज न कराया जाए, तो स्ट्रोक (लकवा या पैरालिसिस) होने का खतरा बढ़ जाता है।

-हृदय में रक्त का थक्का बन जाता है, जो मस्तिष्क में जाकर स्ट्रोक का रूप ले लेता है।

-हार्ट फेल हो सकता है।

-रात में सांस लेने में तकलीफ बहुत बढ़ जाती है।

इलाज

र्यूमैटिक हार्ट डिजीज से खराब होने वाले वाल्व के इलाज में रोगी की स्थिति के अनुसार बैलून वाल्वोप्लास्टी और ओपन हार्ट सर्जरी का सहारा लिया जाता है।

क्या है बैलून वाल्वोप्लास्टी?

अगर हृदय का वाल्व तंग है, तो उसे बैलून से खोल दिया जाता है, जिसे बैलून वाल्वोप्लास्टी कहा जाता है।

कब लगता है कृत्रिम वाल्व?

यदि वाल्व में लीकेज ज्यादा है या फिर कई अन्य जटिलताएं पैदा हो गयी हैं, तो ओपन हार्ट सर्जरी के जरिये कुदरती खराब वाल्व के स्थान पर कृत्रिम वाल्व लगा दिया जाता है।

प्रत्यारोपण के बाद सावधानी

तमाम लोग यह समझते हैं कि जब नया कृत्रिम वाल्व लग गया, तब समस्या खत्म हो गयी, लेकिन नए वाल्व के प्रत्यारोपण के बाद सावधानी का वक्त शुरू हो जाता है। जिस व्यक्ति के दो वाल्व रिप्लेस किए गए हैं, उन्हें कुछ ज्यादा ही सजग रहना होगा। जैसे हृदय रोग विशेषज्ञ के परामर्श से समय-समय पर चेकअॅप कराते रहें। वाल्व के प्रत्यारोपण के बाद रक्त को पतला करने वाली दवाएं दी जाती हैं।

(डॉ.पुरुषोत्तम लाल, सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट मेट्रो हार्ट इंस्टीट्यूट,नोएडा)

 

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