क्या है स्लीप डिस्ऑर्डर
नींद न आने के कारण और इसके प्रभाव

नींद न आना आजकल की सबसे आम समस्याओं में से एक बन चुकी है। यह न केवल आपके शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि मानसिक स्थिति पर भी गहरा असर डालता है। नींद की कमी से निपटने के लिए यह समझना जरूरी है कि इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं और इसके क्या प्रभाव हो सकते हैं।

खर्राटे लेना

बहुत से लोग खर्राटों को गहरी नींद का संकेत मानते हैं, लेकिन यह गलत है। खर्राटे तब आते हैं जब व्यक्ति को नींद के दौरान सही तरीके से सांस लेने में दिक्कत होती है। खर्राटे लेने वाला व्यक्ति गहरी नींद में नहीं होता। इससे उसकी नींद पूरी नहीं हो पाती, और वह दिनभर थका-थका और चिड़चिड़ा महसूस करता है। इस वजह से उसकी याद्दाश्त कमजोर हो सकती है, और मानसिक स्थिति पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है।

नींद न आना

नींद न आने के कई कारण हो सकते हैं। अनियमित दिनचर्या, चाय और कॉफी का अत्यधिक सेवन, अधिक शराब पीना, देर रात तक इंटरनेट या सोशल मीडिया पर वक्त बिताना, लेट नाइट पार्टी करना, सोने का समय निर्धारित न करना, आदि इन समस्याओं का कारण हो सकते हैं। इन आदतों से स्लीप डिसऑर्डर यानी नींद संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

अधिक सपने देखना

अत्यधिक सपने देखना भी नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। जब किसी व्यक्ति को बहुत अधिक सपने आते हैं, तो रात में उसकी नींद बार-बार टूटती है। नींद दो प्रकार की होती है: गहरी नींद (नॉन-रैपिड आई मूवमेंट स्लीप) और कच्ची नींद (जिसे सपनों वाली नींद भी कहा जाता है)। यदि किसी व्यक्ति को 6 घंटे की गहरी नींद मिल जाए तो वह पूरी तरह से आराम महसूस करता है, लेकिन अगर उसे 9-10 घंटे की कच्ची नींद मिलती है, तो उसका शरीर थका रहता है।

नींद न आने के कारण

नींद न आने के मुख्य कारण तनाव, चिंता और डिप्रेशन हो सकते हैं। इसके अलावा, शरीर में होने वाला दर्द भी नींद में खलल डालता है। डॉ. अभिनव के अनुसार, यह समस्या विशेष रूप से महानगरों में बढ़ रही है। यहां लोग इस समस्या को मामूली समझकर डॉक्टर के पास नहीं जाते, जिसके कारण यह छोटी समस्या समय के साथ बड़ी बन जाती है।

निष्कर्ष

नींद न आने की समस्या से न केवल शारीरिक थकान बढ़ती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्थिति पर भी असर पड़ता है। इसलिए, यदि आप खर्राटे लेने या नींद न आने जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज करने के बजाय डॉक्टर से सलाह लें। सही इलाज और अच्छी आदतों से आप इस समस्या को आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं।

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